सोमवार, 22 सितंबर 2014

---- साधनाओ का समय हे नवरात्री = अनेको पुस्तकीय लोग बहुत साधनाए बताएँगे ही \\
======= बगुलामुखी साधना == यह सबकी प्रिय साधना हे == इस साधना से अनेको लोगो ने अपना बहुत ही ज्यादा नुकसान किया हे \\ यह हमारे देखने में आया हे \\ हो सकता हो की आप यह भी कहे की आप साधना से हमें दूर कर रहे हे \\ यह नही \\ आपका नुकसान न हो बस यही कामना हे \\
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===== बगुलामुखी साधना== == यह सबकी प्रिय साधना हे == इस साधना से अनेको लोगो ने अपना बहुत ही ज्यादा नुकसान किया हे \\ यह हमारे देखने में आया हे \\ हो सकता हो की आप यह भी कहे की आप साधना से हमें दूर कर रहे हे \\ यह नही \\ आपका नुकसान न हो बस यही कामना हे \\
==== देवी का मन्त्र ही इस प्रकार का हे की , साधक [खुद] स्वयं ही अपने ही हाथो अपना नुकसान कर बैठता हे , जब उसको ज्ञात होता हे की यह क्या हुवा हे तब तक बहुत देरी हो चुकी होती हे \\
==== जो भी साधक इसको संपन्न करता हे उसका कार्य और व्यापर प्रभावित होता हे और उसके आसपास की मित्र मण्डली भी अक्सर कम हो जाया करती हे \\ वह अपने को सुरक्षित करने हेतु यह करता हे , और स्वयं ही उससे आहत हो जाता हे \\
==== मन्त्र का अर्थ ही यही हे की हे देवी ==सभी दुस्टों का बोलना= मुख = रोक दे , चलना रोक दे , जीववहा को कील दो = हे देवी आप यह करों \\
==== अब आप स्वयं ही सोचिये की आप किसी का नुकसान या अपने फायदे के लिए यह जपते हे तो पहले तो स्वयं का नुकसान फिर दूसरे का अतः भावना वस आप अपना ही नुकसान न कर ले = मन्त्र का यह आधा ही अर्थ हे पर मूल यही हे \\ अनेको लोग इसके और भी अनेको प्रयोग बताते हे \\ मगर वह सभी फायदे के लिए नही होते हे इससे करता स्वयं ही नुकसान उठता हे यह हमने ज्यादा देखा हे \\ आप से निवेदन हे की इस प्रकार की विधियों से दूर रहे \\ किताब में अनेको साधनाए बताई गयी हे किन्तु उसको करके जाना और अनुभव बहुत काम लोगो को हे \\ केवल बड़प्पन दिखने हेतु साधनाए प्रकाशित करने से जिज्ञासा वष दुसरो को नुकसान होता हे \\ फिर भी आप चाहे तो करे \\ सावधानी से योग्य गुरु के सानिद्ध्य में \\ इसके प्रयोग से अनेको साधको को बर्बाद होते देखा हे \\

वी का मन्त्र ही इस प्रकार का हे की , साधक [खुद] स्वयं ही अपने ही हाथो अपना नुकसान कर बैठता हे , जब उसको ज्ञात होता हे की यह क्या हुवा हे तब तक बहुत देरी हो चुकी होती हे \\
==== जो भी साधक इसको संपन्न करता हे उसका कार्य और व्यापर प्रभावित होता हे और उसके आसपास की मित्र मण्डली भी अक्सर कम हो जाया करती हे \\ वह अपने को सुरक्षित करने हेतु यह करता हे , और स्वयं ही उससे आहत हो जाता हे \\
==== मन्त्र का अर्थ ही यही हे की हे देवी ==सभी दुस्टों का बोलना= मुख = रोक दे , चलना रोक दे , जीववहा को कील दो = हे देवी आप यह करों \\

आप चाहे तो करे \\ सावधानी से योग्य गुरु के सानिद्ध्य में \\ इसके प्रयोग से अनेको साधको को बर्बा==== अब आप स्वयं ही सोचिये की आप किसी का नुकसान या अपने फायदे के लिए यह जपते हे तो पहले तो स्वयं का नुकसान फिर दूसरे का अतः भावना वस आप अपना ही नुकसान न कर ले = मन्त्र का यह आधा ही अर्थ हे पर मूल यही हे \\ अनेको लोग इसके और भी अनेको प्रयोग बताते हे \\ मगर वह सभी फायदे के लिए नही होते हे इससे करता स्वयं ही नुकसान उठता हे यह हमने ज्यादा देखा हे \\ आप से निवेदन हे की इस प्रकार की विधियों से दूर रहे \\ किताब में अनेको साधनाए बताई गयी हे किन्तु उसको करके जाना और अनुभव बहुत काम लोगो को हे \\ केवल बड़प्पन दिखने हेतु साधनाए प्रकाशित करने से जिज्ञासा वष दुसरो को नुकसान होता हे \\ फिर भी द होते देखा हे \\


 

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