शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

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ब्रह्म मुहूर्त क्या है ?
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के वैज्ञानिक लाभ क्या हैं ?
ब्रह्म मुहूर्त का ही विशेष महत्व क्यों ?


रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है।
ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय। रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।
“ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”।
(ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।)
सिख धर्म में इस समय के लिए बेहद सुन्दर नाम है-’अमृत वेला , जिसके द्वारा इस समय का महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईश्वर भक्ति के लिए यह महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईवर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका मन शांत और तन पवित्र होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है और दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा फार्मूला है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है।
प्रात: काल उठने के पश्चात हस्त दर्शन का भी शास्त्रीय विधान है ।
करागे वसति लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती ।
कर मूले स्थितों ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम् ॥
भगवान के स्मरण के बाद दही, घी, आईना, सफेद सरसों, बैल, फूलमाला के दर्शन भी इस काल में बहुत पुण्य देते हैं।
पौराणिक महत्व - वाल्मीकि रामायण के मुताबिक माता सीता को ढूंढते हुए श्रीहनुमान ब्रह्ममुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद व यज्ञ के ज्ञाताओं के मंत्र उच्चारण की आवाज सुनी।
शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है-
वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।
ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥
- भाव प्रकाश सार-93
अर्थात- ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता है।
अच्छे स्वास्थ्य का रहस्य~
हमारे धर्मग्रंथों में ब्रह्म मुहूर्त में उठने का सबसे बड़ा लाभ अच्छा स्वास्थ्य बताया गया है। क्या है इसका रहस्य? दरअसल सुबह चार बजे से साढ़े पांच बजे तक वायुमंडल में यानी हमारे चारों ओर आक्सीजन अधिक होती है। वैज्ञानिक खोजों से पता चला है कि इस समय आक्सीजन 41 प्रतिशत, करीब 55 प्रतिशत नाइट्रोजन और 4 प्रतिशत कार्बन डाईआक्साइड गैस रहती है। सूर्योदय के बाद वायुमंडल में आक्सीजन कम और कार्बन डाईआक्साइड बढ़ती है। आक्सीजन हमारे जीवन का आधार है। शास्त्रों में इसे प्राणवायु कहा गया है। ज्यादा आक्सीजन मिलने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।
ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति~
ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लिए।
इसलिए मिलती है सफलता व समृद्धि~
आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं तथा भगवान का श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म मुहूर्त में किए जाने का विधान है।
ब्रह्ममुहूर्त के धार्मिक, पौराणिक व व्यावहारिक पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल, सुखी और समृद्ध होता है, क्यों? क्योंकि जल्दी उठने से दिनभर के कार्यों और योजनाओं को बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इसलिए न केवल जीवन सफल होता है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने वाला हर व्यक्ति सुखी और समृद्ध हो सकता है। कारण वह जो काम करता है उसमें उसकी प्रगति होती है। विद्यार्थी परीक्षा में सफल रहता है। जॉब (नौकरी) करने वाले से बॉस खुश रहता है। बिजनेसमैन अच्छी कमाई कर सकता है। बीमार आदमी की आय तो प्रभावित होती ही है, उल्टे खर्च बढऩे लगता है। सफलता उसी के कदम चूमती है जो समय का सदुपयोग करे और स्वस्थ रहे। अत: स्वस्थ और सफल रहना है तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
वेदों में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व और उससे होने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है।
प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥ - ऋग्वेद-1/125/1
अर्थात- सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।
यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा। सुवाति सविता भग:॥ - सामवेद-35
अर्थात- व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना करना चाहिए। इस समय की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे।
अथर्ववेद- 7/16/२
अर्थात- सूरज उगने के बाद भी जो नहीं उठते या जागते उनका तेज खत्म हो जाता है।
व्यावहारिक महत्व - व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है। वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा तन, मन और बुद्धि को पुष्ट करते हैं।
जैविक घड़ी पर आधारित शरीर की दिनचर्या 🌿-----
🍃प्रातः 3 से 5 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से फेफड़ो में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । इस समय दीर्घ श्वसन करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु (आक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते है, और सोते रहनेवालो का जीवन निस्तेज हो जाता है ।
🍃प्रातः 5 से 7 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आंत में होती है। प्रातः जागरण से लेकर सुबह 7 बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान का लेना चाहिए । सुबह 7 के बाद जो मल – त्याग करते है उनकी आँतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।09926077010
🍃प्रातः 7 से 9 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आमाशय में होती है। यह समय भोजन के लिए उपर्युक्त है । इस समय पाचक रस अधिक बनते हैं। भोजन के बीच –बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार ) घूँट-घूँट पिये।
🍃प्रातः 11 से 1 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से हृदय में होती है। दोपहर 12 बजे के आस–पास मध्याह्न – संध्या (आराम ) करने की हमारी संस्कृति में विधान है। इसीलिए भोजन वर्जित है । इस समय तरल पदार्थ ले सकते है। जैसे मट्ठा पी सकते है। दही खा सकते है ।
🍃दोपहर 1 से 3 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से छोटी आंत में होती है। इसका कार्य आहार से मिले पोषक तत्त्वों का अवशोषण व व्यर्थ पदार्थों को बड़ी आँत की ओर धकेलना है। भोजन के बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।09926077010
🍃दोपहर 3 से 5 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मूत्राशय में होती है । 2-4 घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृति होती है।
🍃शाम 5 से 7 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से गुर्दे में होती है । इस समय हल्का भोजन कर लेना चाहिए । शाम को सूर्यास्त से 40 मिनट पहले भोजन कर लेना उत्तम रहेगा। सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक (संध्याकाल) भोजन न करे। शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते है । देर रात को किया गया भोजन सुस्ती लाता है यह अनुभवगम्य है।
🍃रात्री 7 से 9 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मस्तिष्क में होती है । इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है । आधुनिक अन्वेषण से भी इसकी पुष्टी हुई है।
🍃रात्री 9 से 11 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जु में होती है। इस समय पीठ के बल या बायीं करवट लेकर विश्राम करने से मेरूरज्जु को प्राप्त शक्ति को ग्रहण करने में मदद मिलती है। इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है । यदि इस समय भोजन किया जाय तो वह सुबह तक जठर में पड़ा रहता है, पचता नहीं और उसके सड़ने से हानिकारक द्रव्य पैदा होते हैं जो अम्ल (एसिड) के साथ आँतों में जाने से रोग उत्पन्न करते हैं। इसलिए इस समय भोजन करना खतरनाक है।
🍃रात्री 11 से 1 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से पित्ताशय में होती है । इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा , नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएं बनती है ।
🍃रात्री 1 से 3 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से लीवर में होती है । अन्न का सूक्ष्म पाचन करना यह यकृत का कार्य है। इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन-तंत्र को बिगाड़ देता है । इस समय यदि जागते रहे तो शरीर नींद के वशीभूत होने लगता है, दृष्टि मंद होती है और शरीर की प्रतिक्रियाएं मंद होती हैं। अतः इस समय सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होती हैं।09926077010
🍃नोट :-- 🍃ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखे, जिससे ऊपर बताए भोजन के समय में खुलकर भूख लगे। जमीन पर कुछ बिछाकर सुखासन में बैठकर ही भोजन करें। इस आसन में मूलाधार चक्र सक्रिय होने से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है। कुर्सी पर बैठकर भोजन करने में पाचनशक्ति कमजोर तथा खड़े होकर भोजन करने से तो बिल्कुल नहींवत् हो जाती है। इसलिए ʹबुफे डिनरʹ से बचना चाहिए।
🍃पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का लाभ लेने हेतु सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में करके ही सोयें, अन्यथा अनिद्रा जैसी तकलीफें होती हैं।
🍃शरीर की जैविक घड़ी को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्रि को बत्ती बंद करके सोयें। इस संदर्भ में हुए शोध चौंकाने वाले हैं। देर रात तक कार्य या अध्ययन करने से और बत्ती चालू रख के सोने से जैविक घड़ी निष्क्रिय होकर भयंकर स्वास्थ्य-संबंधी हानियाँ होती हैं। अँधेरे में सोने से यह जैविक घड़ी ठीक ढंग से चलती है।
आजकल पाये जाने वाले अधिकांश रोगों का कारण अस्त-व्यस्त दिनचर्या व विपरीत आहार ही है। हम अपनी दिनचर्या शरीर की जैविक घड़ी के अनुरूप बनाये रखें तो शरीर के विभिन्न अंगों की सक्रियता का हमें अनायास ही लाभ मिलेगा। इस प्रकार थोड़ी-सी सजगता हमें स्वस्थ जीवन की प्राप्ति करा देगी \\09926077010, shiv mehta 
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शनिवार, 28 नवंबर 2015

कर्ज मुक्ति , lon, fainensh,bank, दारिद्रय दहन स्त्रोत्र , उधार देने लेने का समय , दिवालिये से बचने , होने के योग, कर्ज न चुके

कर्ज मुक्ति , lon, fainensh,bank, दारिद्रय दहन स्त्रोत्र , उधार देने लेने का समय , दिवालिये से बचने , होने के योग 

कर्ज मुक्ति कैसे -- कर्ज -- जीवन का दुर्भाग्य हे -- कर्ज लेकर आगे बढ़ना जीवन का सौभाग्य हे किन्तु यही कर्ज जब बढ़ता ही जाये और आय के स्रोत न हो तो यह जीवन की लीला को समाप्त करने पर भी आ जाता हे और अनेको व्यक्तियों ने हेसियत्नुसार कर्ज के कारण आत्म हत्या भी की हे और कर रहे हे -- पुरुष के कर्ज के कारण महिलाओ को क्या क्या नहीं भोगना होता हे -- अनेको जगह तो उनके इज्जत बच्चा भी मुश्किल हो जाता हे \\
कर्ज व्यक्ति सुविधानुसार लेता हे और चुकता भी हे किन्तु समय का बदलाव उसको अनेको बार बर्बाद भी करता ही हे , दिया पैसा वापस नहीं आता हे और अपने कार्य हेतु व्यक्ति कर्ज लेता हे जो चुकता नहीं हे \\
==व्यापर हेतु कर्ज , मकान हेतु कर्ज , और आज के समय में तो इसका बहुत ही बोल बल हे जेब खर्च चलने हेतु भी कर्ज , पढ़ाई , इलाज तो ठीक , जेब खर्चे हेतु कर्ज \\
== आज तो बच्चा कर्ज से ही पैदा होता हे और पड़ता बढ़ता हे और अ समय ही कल कलवित हो जाता हे \\
== बेंको ने भी व्यक्तिगत लोन देना जबसे आरम्भ किया हे लोगो की हालत पतली होती जा रहीं हे , कर्ज से काम तो चल जाता हे किन्तु उसको चुकाने में सभी कुछ चला जाता हे 

== बहुत प्रयास के बाद भी कर्ज न चुके तो यह अपनाये आप \\

== और भूलकर भी कभी मंगलवार को कर्ज नहीं ले यह चुकता नहीं हे \\
== और भूलकर भी शनिवार को कर्ज नहीं दे यह वापस नहीं आता हे \\
== मंगलवार को दिया हुवा कर्ज भी कभी वापस नहीं आता हे इस कारण इस दिन तो उधर मॉल भी नहीं बेचना चाहिए इस दिन का कर्ज लड़ाई झगडे और कोर्ट केश के बाद भी बड़ी मुश्किल से चुकता हे \\
== आपके धन भाव का स्वामी द्वादश हो तो आप किसी को पैसा उधार नहीं दे और न ही इस तरह का व्यापार करे जिसमे उधारी हो नहीं तो आपका सारा धन चला जायेगा और वापस नहीं आएगा \ और यदि उस समय में उस गृह की ही महादशा चलरहिं हो या अंतर दशा हो तो भी कर्ज किसी को नहीं दे नहीं तो वह पैसा डूब जायेगा \\
== आपके आय भाव का स्वामी व्यय भाव में हो तो भी किसी को उसकी महादशा में कर्ज नहीं दे या व्यापार में उधार नहीं दे नहीं तो पैसा डूब जायेगा \\
== दसम का स्वामी द्वादश होने पर भी उधारी में मॉल बेचने वाला व्यापार नहीं करे नहीं तो सारा व्यापार में पैसा चला जायेगा वह वापस नहीं आएगा और आप बर्बाद हो जायेंगे \\
== भाग्येश द्वादश होने पर भी पैसा वापस नहीं आता हे \\
== धनेश के , या आयेश के षष्ठेश होने पर आपके पास का पैसा आपको मुर्ख बनाकर आपके मित्र ले जाते हे जो बाद में आपको लौटते नहीं हे -- और आपसे विवाद करते हे इस कारण यह तोग बनने पर भी आप किसी को पैसा उधार नहीं दे और न ही व्यापार जिसमे उधारी हो वह करे और कोई बड़ी फैक्ट्री या उधयोग तो बिलकुल नहीं लगाये नहीं तो दिवालिया होना आपका तय हे \\
== आपके वर्तमान के महादशा स्वामी से अन्तर्दशा का द्वादश होने पर भी आपका सारा पास का पैसा जाता रहता हे पर वापस नहीं आता हे इस समय में नाटो उधार देवे और न ही कोई व्यापार उधारी देने वाला करे नहीं तो आपका सारा पैसा बर्बाद हो जायेगा वापस ही २ तीन साल नहीं आएगा और आप हैरान परेशान हो जायेगे \\
== आपके राहु नवम में हे तो फिर आपको किसी को भी पैसा उधार नहीं देना चाहिए वह वापस आएगा ही नहीं और आप बर्बाद ही होंगे \\
== सिंह का गुरु धन भाव में हे तो इसके समय में यह खूब पैसा देता हे और आपके पास पैसा म्नग्ने उधारी में लेने वालो और कर्ज लेने वालो की लाइन लगी रहती हे इस समय किसी को पैसा नहीं दे और \\
== जन्म का शनि अष्ट हो तो फिर तो आपको किसी को उधार देना ही नहीं हे नहीं तो आ वशुल कर ही नहीं पाएंगे और बर्बाद होंगे ही \\
उपाय ज्यादा कर्ज होने पर आप इस दारिद्रय मुक्ति स्त्रोत्र का पथ नित्य करे और साथ ही कोई कार्य या व्यापार अवश्य ही करे ताकि पैसा आये और आप चुकाए ==
तर------॥दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं॥ स्वामी आनंद शिव मेहता 09926077010 --
विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय करूणामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय,दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥१॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गंगाधराय गजराजविमर्दनाय,दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥२॥
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय,उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥३॥
चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मंझीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥४॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥५॥
गौरिविलास भुवनाय महेश्वराय पन्चाननाय 
शरणागत कल्पकाय 
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय!! ६!!
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥७॥
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥८॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय॥९॥
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वदारिद्रनिवारणं। सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्॥ऊँ॥स्त्रो
॥इति वसिष्ठ विरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥
फल: एसा शास्रोक्त वचन हैं जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं का पाठ करते उनके दुख एवं सर्व रोग का निवारण होकर उसे, संपत्ति एवं संतान लाभ प्राप्त होता हैं। ऊँ नमः शिवाय,,
उपाय :-और भी अनेको योग हे 09926077010 --स्वामी आनंद शिव मेहता ==
== विनायक अनुष्ठान से भी रूकावट भाग्य अवरोध दूर होता हे यह अनुष्ठान एक दिन का होता हे 20 , 000   खर्च आता हे इससे भी लाभ होता हे अवरुद्ध मार्ग खुलता हे \\
== कार्य सिद्धी व्यापार वृद्धि अनुष्ठान से भी तत्काल लाभ मिलता हे इसका खर्च भी दक्षिणा सहित 25000  तक आता हे \\
== स्त्री होने पर यदि वह देवी त्रिपुर सुंदरी का अंगन्यास प्रतयक्ष संपन्न कर्वे इससे भी आय की रह बनती हे और भाग्य वृद्धि होती हे इसका खर्च भी 10  से 20  हजार तक आता हे कोई परिचित हो तो वह सामान्य वाममार्गी अनुष्ठान २००० से ५००० तक में भी संपन्न करवा देता हे =
= शिव मेहता -- 099260077010 ==
1॰ चर लग्न मेष, कर्क, तुला व मकर में कर्ज लेने पर शीघ्र उतर जाता है। लेकिन, चर लग्न में कर्जा दें नहीं। चर लग्न में पांचवें व नवें स्थान में शुभ ग्रह व आठवें स्थान में कोई भी ग्रह नहीं हो, वरना ऋण पर ऋण चढ़ता चला जाएगा।
2॰ किसी भी महीने की कृष्णपक्ष की 1 तिथि, शुक्लपक्ष की 2, 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13 पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें।
3॰ हस्त नक्षत्र रविवार की संक्रांति के वृद्धि योग में कर्जा उतारने से मुक्ति मिलती है।
4॰ कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें एवं लिए हुए कर्ज की प्रथम किश्त मंगलवार से देना शुरू करें। इससे कर्ज शीघ्र उतर जाता है।
5॰ कर्ज लेने जाते समय घर से निकलते वक्त जो स्वर चल रहा हो, उस समय वही पांव बाहर निकालें तो कार्य सिद्धि होती है, परंतु कर्ज देते समय सूर्य स्वर को शुभकारी माना है।
6॰ लाल मसूर की दाल का दान दें।
7॰ वास्तु अनुसार ईशान कोण को स्वच्छ व साफ रखें।
8॰ वास्तुदोष नाशक हरे रंग के गणपति मुख्य द्वार पर आगे-पीछे लगाएं।
9॰ हनुमानजी के चरणों में मंगलवार व शनिवार के दिन तेल-सिंदूर चढ़ाएं और माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का पाठ करें।
10॰ ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का शुक्लपक्ष के बुधवार से नित्य पाठ करें।
11॰ बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से शीघ्र कर्ज से मुक्ति मिलती है
12॰ सरसों का तेल मिट्टी के दीये में भरकर, फिर मिट्टी के दीये का ढक्कन लगाकर किसी नदी या तालाब के किनारे शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जमीन में गाड़ देने से कर्ज मुक्त हो सकते हैं।
13॰ सिद्ध-कुंजिका-स्तोत्र का नित्य एकादश पाठ करें।
14॰ घर की चौखट पर अभिमंत्रित काले घोड़े की नाल शनिवार के दिन लगाएं।
15॰ श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल के वृक्ष पर चढ़ाना चाहिए। यह कार्य नियमित रुप से ७ शनिवार को किया जाना चाहिए।
16॰ ५ गुलाब के फूल, १ चाँदी का पत्ता, थोडे से चावल, गुड़ लें। किसी सफेद कपड़े में २१ बार गायत्री मन्त्र का जप करते हुए बांध कर जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा ७ सोमवार को करें।
17॰ ताम्रपत्र पर कर्जनाशक मंगल यंत्र (भौम यंत्र) अभिमंत्रित करके पूजा करें या सवा चार रत्ती का मूंगायुक्त कर्ज मुक्ति मंगल यंत्र अभिमंत्रित करके गले में धारण करें |
18. शनिवार को ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें।
19. मंगल की भातपूजा, दान, होम और जप करें।
20. मंगल एवं बुधवार को कर्ज का लेन-देन न करें।
21. लाल, सफेद वस्त्रों का अधिकतम प्रयोग करें।
22. श्रीगणेश को प्रतिदिन दूर्वा और मोदक का भोग लगाएं।
23. श्रीगणेश के अथर्वशीर्ष का पाठ प्रति बुधवार को करें।
24. शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा दूध चढ़ाएं।...09926077010 -- आनंद शिव मेहता 
इन उपयो और सावधानियों को अपनाया जय तो  आप दिवालिया होने से बर्बादी होने से कर्जदार होने से बच सकता हे और आत्महत्या से भी बचेंगे आपके लिए आपका परिवार आवश्यक हे आप पर बहुत कर्ज भी हो चूका हे तब भी आप धैर्य रखे और किसी को भी पत्रिका दिखाए और सलाह करे किसी प्रकार का गलत कार्य जल्दबाजी में न करे हर समस्या का समाधान होता ही हे -- बस आपको सामना करना हे और उपाय करना ही हे \\
== किसी भी उपाय की कपि हानि लाभ की जिम्मेदारी हमारी नहीं हे आप अपनी जिम्मेदारी पर ही संपन्न करे या अपने सलाहकार से या अपने गुरु से मार्गदर्शन करे फिर इस और प्रवृत्त हो == 09926077010 =
== हमारे द्वारा जन्म पत्रिका पर सलाह का शुल्क २००० रूपया हे और यह मिलने पर ही आपको सलाह देते हे हमारी सलाह मुफ्त नहीं हे , मुफ्त हेतु आपके लिया ही यह लिखा हे लाभ उठाये --- राम राम शेष  मंगल 

== श्री कांतीलाल भूरिया , - kanteelal bhuriya - सांसद झाबुआ , नव नियुक्त , कांग्रेश , congresh

== श्री कांतीलाल भूरिया , - kanteelal bhuriya -  सांसद झाबुआ , नव नियुक्त , कांग्रेश congresh 


== जन्म ज्येष्ठा  नक्षत्र , जून , 1950   झाबुआ == 24 -11 -2015 ----- शिव मेहता - 09926077010  
== आपने आज कांग्रेश , की नैय्या को बड़ा सहारा दिया हे \ यह जीत वास्तव में इनके , नक्षत्र के अतिमित्र स्थान में शनि की उपस्थिति होने से मिली हे और इस कारण ही इन्हे इस पिछड़े क्षेत्र में ही ज्यादा मत मिले हे जबकि यह शहरी क्षेत्र में ज्यादा प्रभावी नहीं रहे हे -- फिर भी विजयी तो विजय ही हे और , बहुत ही अच्छी विजय विपरीत परिस्थितियों में -- आपको मिली हे ,, बधाई के आप पात्र हे \\
==  इस समय आपको बहुत ही स्नेह जनता ने दिया हे किन्तु यह स्नेह केवल 8 - 10 माह ही रहेगा फिर इनकी और से जनता का मोह भांग होने लगेगा इस कारण आप जनता के मध्य ही रहे और उनकी समस्या पर ध्यान दे , आपके लिए आगे का समय ठीक नहीं हे यु भी आपके जन्म का शनि पीड़ित अवस्था को प्राप्त हे , जो की आगामी समय में आपके नक्षत्र को वेध करेगा और अनेको प्रकार की परेशानी भी कड़ी करेगा \
== आपको समय समय पर शनि देवता की आराधना और अनुष्ठान अवश्य ही करवाने चाहिए == या आपको शास्ता देवता के अनुष्ठान अवश्य ही करवाने चाहिए जिससे आपको लाभ मिलता रहे \\
== स्वामी आनंद शिव मेहता , इंदौर == 09926077010 == वेव जानकारी से लिखा शाम - 5 .50  बजे  

panjab election 2017 , श्री कैप्टन अमरिंदर सिंग , कोंग्रेश अध्यक्ष पंजाब ,पंजाब चुनाव 2017 , congresh parti

==panjab election 2017 = श्री  कैप्टन अमरिंदर सिंग == कोंग्रेश अध्यक्ष पंजाब == पंजाब चुनाव 2017 --

panjab election= मुख्यमंत्री  पद प्राप्ति कठिन === फिर भी बहुत सफल होंगे यह ===== 
= श्री अमरिंदर सिंग जी पटियाला रियासत में मार्च 1942 को जन्मे हे मूल नक्षत्र में == 
== कांग्रेश पार्टी ने इन्हे पंजाब में चुनावी जीत हेतु यह पद दिया हे , और इस समय , कप्तान जी सितारे बहुत बुलंदी पर हे , और यह आगामी वर्ष और ज्यादा प्रसिद्धी को प्राप्त होंगे और , आप जन मानस में इन्हे बहुत ही ज्यादा अच्छा समर्थन मिलेगा \ यह बहुत प्रभावी होंगे \\
== आपका सितारा बुलंदी पर केवल 30 जनवरी तक ही हे , इस समय के पाहिले जहां चुनाव होंगे , उन स्थानो पर कोंग्रेश के अनेको उम्मदवार आपके नेतृत्व में विजयी होंगे किन्तु यदि चुनाव का समय फरवरी से आरम्भ होता हे तो कोई एक घटना अकस्मात इस तरह की होगी जिससे इनके नेतृत्व में जितना अ सम्भब हो जायेगा \ 
=== पंजाब में कोंग्रेश का अच्छा समय 30  जनवरी का दिन अंतिम होगा इस दिन के पश्चात कोंग्रेश की प्रसिद्धी का ग्राफ गिरेगा \\ 
==== पंजाब  चुनाव का होने का अनुमानित समय -- 8  फरवरी से 8  मार्च का हो या अप्रेक के प्रथम सप्ताह तक हो इस समय में अमरिंदर सिंग जी का , सितारा कमजोर होकर , वेधित होने से सफलता की और जाने का संकेत नहीं हे , यहां यह किसी कारण वष असफल हो जायेंगे \\
==== यदि पंजाब में चुनाव 20  जून के बाद आरम्भ होते हे , जो की अ संभव हे तो इनके नेतृत्व में जीत संभव हे कोंग्रेश की बहुत सुन्दर सफलता मिलेगी किन्तु यह हो ना सकेगा \\ इस समय के पहले ही वहां चुनाव और सरकार बन जाएगी -- अभी और निष्कर्ष अभी और लिखेंगे यह प्रारंभिक हे \\a
==== बहुत अधिक जन मानस की चाहत के बावजूद भी कोंग्रेश को सफलता -- चुनावी समय फरवरी से मार्च होने की स्थिति में पंजाब में इन्हे सफलता नहीं मिलेगी \\ 
==== शिव मेहता -- स्वामी आनंद शिव मेहता -- इंदौर - 09926077010  --28 -11 -2015 - शनिवार को दोपहर 2 .15  पर वेव सूत्र जानकारी से लिखा == आगे हरी इच्छा -- यही अंतिम नहीं हे -- राम राम जी 
== ज्योतिष शास्त्र किसी का विरोधी और किसी का मित्र नहीं होता हे इसमें तो जो ग्रहों के योग से उत्पन्न असर होना हे उसको ही परिभाषित किया जाता हे \\ ततष्ठ होकर \\ जय श्री राम \\

रविवार, 22 नवंबर 2015

गूंजा कल्प , रक्त गूंजा , कृष्ण गूंजा , स्वेत गूंजा , कृष्ण रक्त गूंजा , गूंजा चमत्कार , तांत्रिक सफलता दायक गूंजा , gunja ,tantr sadhna

  गूंजा कल्प , रक्त गूंजा , कृष्ण गूंजा , स्वेत गूंजा , कृष्ण रक्त गूंजा , गूंजा चमत्कार , tantra sadhna , gunja pryog , 

 चमत्कारी , तांत्रिक , सफलता दायक गूंजा ,


गुंजा एक फली का बीज है। इसको धुंघची, रत्ती आदि नामों से जाना जाता है। इसकी बेल काफी कुछ मटर की तरह ही लगती है किन्तु अपेक्षाकृत मजबूत काष्ठीय तने वाली। इसे अब भी कहीं कहीं आप सुनारों की दुकानों पर देख सकते हैं। कुछ वर्ष पहले तक सुनार इसे सोना तोलने के काम में लेते थे क्योंकि इनके प्रत्येक दाने का वजन लगभग बराबर होता है करीब 120 मिलीग्राम। ये हमारे जीवन में कितनी बसी है इसका अंदाज़ा मुहावरों और लोकोक्तियों में इसके प्रयोग से लग जाता है।
यह तंत्र शास्त्र में जितनी मशहूर है उतनी ही आयुर्वेद में भी। आयुर्वेद में श्वेत गूंजा का ही अधिक प्रयोग होता है औषध रूप में साथ ही इसके मूल का भी जो मुलैठी के समान ही स्वाद और गुण वाली होती है। इसीकारण कई लोग मुलैठी के साथ इसके मूल की भी मिलावट कर देते हैं।
वहीं रक्त गूंजा बेहद विषैली होती है और उसे खाने से उलटी दस्त पेट में मरोड़ और मृत्यु तक सम्भव है। आदिवासी क्षेत्रों में पशु पक्षी मारने और जंगम विष निर्माण में अब भी इसका प्रयोग होता है।
गुंजा की तीन प्रजातियां मिलती हैं:- 09926077010

1• रक्त गुंजारक्त गूंजा -- यह एक ही रंग और प्रजाति की मिलती हे , यह मोती शंख सामान होती हे पूरी ही रक्तिम वर्ण की होती हे सारा वर्णन इसका ही मिलता हे यही लाभदाती हे किन्तु , इसको खोज करने पर यह गूंजा न होकर , रोहित वृक्ष का फल बताया गया , और अनेको लोग इसको रक्त बराड़  भी कहते हे , कुछ लोग इसको अल गतुरा भी कहते हे \ जो भी हो किन्तु यह होती हे ----- वैसे सामान्य से अलग हे यह == लाल और काली तो आपने सर्वत्र ही देखि ही हे \\a
------yh alg he ==: लाल काले रंग की ये प्रजाति भी तीन तरह की मिलती है जिसमे लाल और काले रंगों का अनुपात 10%, 25% और 50% तक भी मिलता है।
ये मुख्यतः तंत्र में ही प्रयोग होती है।
श्वेत गुंजा • श्वेत गुंजा में भी एक सिरे पर कुछ कालिमा रहती है। यह आयुर्वेद और तंत्र दोनों में ही सामान रूप से प्रयुक्त होती है। ये लाल की अपेक्षा दुर्लभ होती है।  shiv mehta  indore 
काली गुंजा: काली गुंजा दुर्लभ होती है, आयुर्वेद में भी इसके प्रयोग लगभग नहीं हैं हाँ किन्तु तंत्र प्रयोगों में ये बेहद महत्वपूर्ण है।
इन तीन के अलावा एक अन्य प्रकार की गुंजा पायी जाती है पीली गुंजा ये दुर्लभतम है क्योंकि ये कोई विशिष्ट प्रजाति नहीं है किन्तु लाल और सफ़ेद प्रजातियों में कुछ आनुवंशिक विकृति होने पर उनके बीज पीले हो जाते हैं। इस कारण पीली गूंजा कभी पूर्ण पीली तो कभी कभी लालिमा या कालिमा मिश्रित पीली भी मिलती है।
स चमत्कारी वनस्पति गुंजा के कुछ प्रयोग:- swami aannd shiv mehta = 09926077010
1• सम्मान प्रदायक :
शुद्ध जल (गंगा का, अन्य तीर्थों का जल या कुएं का) में गुंजा की जड़ को चंदन की भांति घिसें। अच्छा यही है कि किसी ब्राह्मण या कुंवारी कन्या के हाथों से घिसवा लें। यह लेप माथे पर चंदन की तरह लगायें। ऐसा व्यक्ति सभा-समारोह आदि जहां भी जायेगा, उसे वहां विशिष्ट सम्मान प्राप्त होगा।
2• कारोबार में बरकत
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार के दिन 1 तांबे का सिक्का, 6 लाल गुंजा लाल कपड़े में बांधकर प्रात: 11 बजे से लेकर 1 बजे के बीच में किसी सुनसान जगह में अपने ऊपर से 11 बार उसार कर 11 इंच गहरा गङ्ढा खोदकर उसमें दबा दें। ऐसा 11 बुधवार करें। दबाने वाली जगह हमेशा नई होनी चाहिए। इस प्रयोग से कारोबार में बरकत होगी, घर में धन रूकेगा।
3"• ज्ञान-बुद्धि वर्धक :
(वधू के लिए :
विवाह क) गुंजा-मूल को बकरी के दूध में घिसकर हथेलियों पर लेप करे, रगड़े कुछ दिन तक यह प्रयोग करते रहने से व्यक्ति की बुद्धि, स्मरण-शक्ति तीव्र होती है, चिंतन, धारणा आदि शक्तियों में प्रखरता व तीव्रता आती है।
(ख) यदि सफेद गुंजा के 11 या 21 दाने अभिमंत्रित करके विद्यार्थियों के कक्ष में उत्तर पूर्व में रख दिया जाये तो एकाग्रता एवं स्मरण शक्ति में लाभ होता है।
4• वर-के समय लाल गुंजा वर के कंगन में पिरोकर पहनायी जाती है। यह तंत्र का एक प्रयोग है, जो वर की सुरक्षा, समृद्धि, नजर-दोष निवारण एवं सुखद दांपत्य जीवन के लिए है। गुंजा की माला आभूषण के रूप में पहनी जाती है।
5• पुत्रड़ लाकर दूध से धोकर, सफेद चन्दन पुष्प से पूजा करके सफेद धागे में पिरोकर। “ऐं क्षं यं दं” मंत्र के ग्यारह हजार जाप करके स्त्री या पुरूष धारण करे तो संतान सुख की प्राप्ती होती है।
6• वशीकरण -
(क) आप जिस व्यक्ति का वशीकरण करना चाहते हों उसका चिंतन करते हुए मिटटी का दीपक लेकर अभिमंत्रित गुंजा के ५ दाने लेकर शहद में डुबोकर रख दें. इस प्रयोग से शत्रु भी वशीभूत हो जाते हैं. यह प्रयोग ग्रहण काल, होली, दीवाली, पूर्णिमा, अमावस्या की रात में यह प्रयोग में करने से बहुत फलदायक होता है.
(ख) गुंजा के दानों को अभिमंत्रित करके जिस व्यक्ति के पहने हुए कपड़े या रुमाल में बांधकर रख दिया जायेगा वह वशीभूत हो जायेगा. जब तक कपड़ा खोलकर गुंजा के दाने नहीं निकले जायेंगे वह व्यक्ति वशीकरण के प्रभाव में रहेगा.
( रक्त गुंजा की माला गले में धारण करने से सर्वजन वशीकरण का प्रभाव होता है.)
7• विद्वेषण में प्रयोग :दाता :
शुभ मुहुर्त में श्वेत गुंजा की ज
किसी दुष्ट, पर-पीड़क, गुण्डे तथा किसी का घर तोड़ने वाले के घर में लाल गुंजा - रवि या मंगलवार के दिन इस कामना के साथ फेंक दिये जाये - 'हे गुंजा ! आप मेरे कार्य की सिद्धि के लिए इस घर-परिवार में कलह (विद्वेषण) उत्पन्न कर दो' तो आप देखेंगे कि ऐसा ही होने लगता है।
8• विष-निवारण :
गुंजा की जड़ धो-सुखाकर रख ली जाये। यदि कोई व्यक्ति विष-प्रभाव से अचेत हो रहा हो तो उसे पानी में जड़ को घिसकर पिलायें।
इसको पानी में घिस कर पिलाने से हर प्रकार का विष उतर जाता है।
9• दिव्य दृष्टि :-
(क) अलौकिक तामसिक शक्तियों के दर्शन :
भूत-प्रेतादि शक्तियों के दर्शन करने के लिए मजबूत हृदय वाले व्यक्ति, गुंजा मूल को रवि-पुष्य योग में या मंगलवार के दिन- शुद्ध शहद में घिस कर आंखों में अंजन (सुरमा/काजल) की भांति लगायें तो भूत, चुडैल, प्रेतादि के दर्शन होते हैं।
(ख) गुप्त धन दर्शन :
अंकोल या अंकोहर के बीजों के तेल में गुंजा-मूल को घिस कर आंखों पर अंजन की तरह लगायें। यह प्रयोग रवि-पुष्य योग में, रवि या मंगलवार को ही करें। इसको आंजने से पृथ्वी में गड़ा खजाना तथा आस पास रखा धन दिखाई देता है।
10• शत्रु में भय उत्पन्न :
गुंजा-मूल (जड़) को किसी स्त्री के मासिक स्राव में घिस कर आंखों में सुरमे की भांति लगाने से शत्रु उसकी आंखों को देखते ही भाग खड़े होते हैं।
11• शत्रु दमन प्रयोग : 09926077010
यदि लड़ाई झगड़े की नौबत हो तो काले तिल के तेल में गुंजामूल को घिस कर, उस लेप को सारे शरीर में मल लें। ऐसा व्यक्ति शत्रुओं को बहुत भयानक तथा सबल दिखाई देगा। फलस्वरूप शत्रुदल चुपचाप भाग जायेगा।
12• रोग - बाधा
(क) कुष्ठ निवारण प्रयोग :
गुंजा मूल को अलसी के तेल में घिसकर लगाने से कुष्ठ (कोढ़) के घाव ठीक हो जाते हैं।
(ख)अंधापन समाप्त :
गुंजा-मूल को गंगाजल में घिसकर आंखों मे लगाने से आंसू बहुत आते हैं।नेत्रों की सफाई होती है आँखों का जाल कटता है।
देशी घी (गाय का) में घिस कर लगाते रहने से इन दोनों प्रयोगों से अंधत्व दूर हो जाता है।
(ग) वाजीकरण:==शिव मेहता  , आनंद शिव  मेहता   , स्वामी आनंद शिव मेहता 
श्वेत गुंजा की जड को गाय के शुद्ध घृत में पीसकर लेप तैयार करें। यह लेप शिश्न पर मलने से कामशक्ति की वृद्धि के साथ स्तंभन शक्ति में भी वृद्धि होती है।
13: नौकरी में बाधा
राहु के प्रभाव के कारण व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो तो लाल गुंजा व सौंफ को लाल वस्त्र में बांधकर अपने कमरे में रखें।
**दुर्लभ काली गुंजा के कुछ प्रयोग: 09926077010
1• काली गुंजा की विशेषता है कि जिस व्यक्ति के पास होती है, उस पर मुसीबत पड़ने पर इसका रंग स्वतः ही बदलने लगता है ।
2• दिवाली के दिन अपने गल्‍ले के नीचे काली गुंजा जंगली बेल के दाने डालने से व्‍यवसाय में हो रही हानि रूक जाती है।
3• दिवाली की रात घर के मुख्‍य दरवाज़े पर सरसों के तेल का दीपक जला कर उसमें काली गुंजा के 2-4 दाने डाल दें। ऐसा करने पर घर सुरक्षित और समृद्ध रहता है।
4• होलिका दहन से पूर्व पांच काली गुंजा लेकर होली की पांच परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पाँचों गुन्जाओं को सिर के ऊपर से पांच बार उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।
5• घर से अलक्ष्मी दूर करने का लघु प्रयोग- shiv mehta - 09926077010 
ध्यानमंत्र :
ॐ तप्त-स्वर्णनिभांशशांक-मुकुटा रत्नप्रभा-भासुरीं ।
नानावस्त्र-विभूषितां त्रिनयनां गौरी-रमाभ्यं युताम् ।
दर्वी-हाटक-भाजनं च दधतीं रम्योच्चपीनस्तनीम् ।
नित्यं तां शिवमाकलय्य मुदितां ध्याये अन्नपूर्णश्वरीम् ॥
मन्त्र :==========शिव मेहता  , आनंद शिव  मेहता   , स्वामी आनंद शिव मेहता , indore , 09926077010 
ॐ ह्रीम् श्रीम् क्लीं नमो भगवति माहेश्वरि मामाभिमतमन्नं देहि-देहि अन्नपूर्णों स्वाहा ।  , स्वामी आनंद शिव मेहता 
विधि :
जब रविवार या गुरुवार को पुष्प नक्षत्र हो या नवरात्र में अष्टमी के दिन या दीपावली की रात्रि या अन्य किसी शुभ दिन से इस मंत्र की एक माला रुद्राक्ष माला से नित्य जाप करें । जाप से पूर्व भगवान श्रीगणेश जी का ध्यान करें तथा भगवान शिव का ध्यान कर नीचे दिये ध्यान मंत्र से माता अन्नपूर्णा का ध्यान करें ।
इस मंत्र का जाप दुकान में गल्ले में सात काली गुंजा के दाने रखकर शुद्ध आसन, (कम्बल आसन, या साफ जाजीम आदि ) पर बैठकर किया जाए तो व्यापार में आश्चर्यजनक लाभ महसूस होने गेगा ।
6• कष्टों से छुटकारे हेतु
यदि संपूर्ण दवाओं एवं डाक्टर के इलाज के बावजूद भी यदि घुटनों और पैरों का दर्द दूर नहीं हो रहा हो तो रवि पुष्य नक्षत्र, शनिवार या शनि आमवस्या के दिन यह उपाय करें। प्रात:काल नित्यक्रम से निवृत हो स्नानोपरांत लोहे की कटोरी में श्रद्धानुसार सरसों का तेल भरें। 7 चुटकी काले तिल, 7 लोहे की कील और 7 लाल और 7 काली गुंजा उसमें डाल दें। तेल में अपना मुंह देखने के बाद अपने ऊपर से 7 बार उल्टा उसारकर पीपल के पेड़ के नीचे इस तेल का दीपक जला दें 21 परिक्रमा करें और वहीं बैठकर 108 बार
ऊँ शं विधिरुपाय नम:।।
इस मंत्र का जाप करें। ऐसा 11 शनिवार करें। कष्टों से छुटकारा मिलेगा।==== , आनंद शिव  मेहता   ,

पीली गुंजा: safed gunja ka hi yh veekrit rup hota he -- yh dekhne me nhin mili he 
1• पीले रंग की गुंजा के बीज ,हल्दी की गांठे, सात कौडियों की पूजा अर्चना करके श्री लक्ष्मीनारायण भगवान के मंत्रों से अभिमंत्रित करके पूजा स्थान में रखने से दाम्पत्य सुख एवं परिवार,मे एकता तथा आर्थिक व्यावसायिक सिद्धि मिलती है
2• इसकी माला या ब्रेसलेट धारण करने से व्यक्ति का चित्त शांत रहता है, तनाव से मुक्ति मिलती है।
3• पीत गुंजा की माला गुरु गृह को अनुकूल करती है।
4• अनिद्रा से पीड़ित लोगों को इसकी माला धारण करने से लाभ मिलता है।
5• बड़ी उम्र के जो लोग स्वप्न में डरते हैं या जिन्हें अक्सर ये लगता है की कोई उनका गला दबा रहा है उन्हें इसकी माला या ब्रेसलेट पहनना चाहिए।
अन्य किसी जानकारी, समस्या समाधान और कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।\
शिव मेहता  , आनंद शिव  मेहता   , स्वामी आनंद शिव मेहता -- indore --09925077010 

== ममता बनर्जी -mamta banrjee, chunav 2016 - बंगाल चुनाव 2016 --মমতা জি বান্র্জী , চুনাভ ২০১৬ == অপ্রেল

== ममता बनर्जी -mamta banrjee,  chunav 2016 - बंगाल चुनाव 2016 --মমতা জি বান্র্জী , চুনাভ ২০১৬ == অপ্রেল
--- मुख्यमंत्री पद पुनः प्राप्ति योग उत्तम --

 जी बनर्जी का जन्म कृतिका  नक्षत्र 5  जनवरी 1955  कलकत्ता 
=== कृतिका नक्षत्र में जन्म होने से आप अपनी सहूलियत अनुसार ही सहयोगी पार्टी चुनती हे व् छोड़ती हे और यह इस मामले में अत्यंत ही भाग्यशाली हे \ 
=== जनवरी आरम्भ से  ममताकुछ आपके अधिकारों व् कोष में कमी की दुविधा होने बाद भी आपको सफलता की बहुत ही ज्यादा सम्भावना लगती हे \\
== इ=स समय मुंथा लग्न और चलित में अष्टम में मंगल युक्त होने से आपके सहयोगियों के दूर होने साथ छोड़कर चले जास्थितिने विवाद होने की  बनेगी कुछ लोग आपकी पार्टी को छोड़ देंगे \\ 
=== आखेट सहम ठीक होने में चुनावों में प्रभावी रहने से लाभ हे व् विजयी होने के ज्यादा चंश बनते हे \
=== इस समय आपको अनेको  नए लोगो का साथ मिलेगा और एक नए धुर्वीकरण का सूत्रपात होगा जिसके कारण आपको राज्य के चुनावो में लाभ की सम्भावना हे \\
=== वर्तमान समय शनि के आपके जन्म से साधक तर में रहने से आपको चुनावो में दलित और पिछड़े वर्ग का बहुत सहयोग मिलेगा जिसका आप प्रतिनिधित्व करती हे और इस समय आपको शनि लाभकारी हे \
=== सर्वाधिक  सफलता के व् पद पुनः प्राप्ति के आपको ज्यादा चंश बनते हे -- किन्तु इस समय समय आपका प्रतिद्वंद्वी घोसित नहीं होनेपदस्थ हो --
===वेव सूत्र से जानकारी से लिखा == आज दिनांक 22 -11 -2015  रविवार को दोपहर 11 .20  बजे - 
आनंद शिव मेहता == शिव मेहता == इंदौर = 09926077010 == स शुल्क सलाह राजनैतिक 
=== सावधानी -- इस समय आपको समय की अनुकूलता प्राप्त हे फिर भी विजयी होने की कामना चने की इच्छा रखने व् वजयी होने की कामना हेतु आपको सहयोगियों  को बदन होगा व्  अपने सहयोगियों को दूर जाने से रोकना होगा व् धार्मिक अनुष्ठानो का सहारा लेना चाहिए -- इस समय सहयोगियों से विवाद की स्थिति बनने से आपको दूर रहकर शांती से चुनाव पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए == 
= नोट == ज्योतिष योग  अनुसारलिखा  न यह किसी के पक्ष में हे और न किसी के विरुद्ध हे तह ततष्ठ होता हे से दोनों का तुलनात्मक अध्ययन नहीं होने से आपके पुनः मुक्यमंत्री का आज लिखना ठीक नहीं जानते हे -- फिर भी आपके पुनः मुख्यमंत्री बनने के ज्यादा अवसर हे और इस बात में कोई दुविधा नहीं की आप पुनः वह   \\ 

शनिवार, 14 नवंबर 2015

पतंजलि द्वारा बताये 14 yog sadhn , जीवन की उन्नति मार्ग हर रोग , समस्या से मुक्ति 09926077010

पतंजलि द्वारा बताये 14 yog sadhn , जीवन की उन्नति मार्ग हर रोग , समस्या से मुक्ति  महर्षि पतंजलि , व्याधी  से निवृत्ती , शोक मुक्ति उपाय साधना 

योग, साधना में चौदह प्रकार के विघ्न ऋषि पतंजलि जी ने अपने योगसूत्र में बताये हैं और साथ ही इनसे छूटने का उपाय भी बताया है.
jab jivan me aapko kisi bhi prkar iki samsya ho tab yah sadhn apnaye 
jivan me har dukh se muktee sambhav he ---09926077010 
भगवन श्री रामचंद्रजी के १४ वर्ष का वनवास इन्हीं १४ विघ्नों व इनको दूर करने का सूचक है. वे १४ विघ्न इस प्रकार हैं :
१. व्याधि :- शरीर एवं इन्द्रियों में किसी प्रकार का रोग उत्मन्न हो जाना.
२. स्त्यान :- सत्कर्म/साधना के प्रति होने वाली ढिलाई, अप्रीति, जी चुराना.
३. संशय :- अपनी शक्ति या योग प्राप्ति में संदेह उत्पन्न होना.
४. प्रमाद :- योग साधना में लापरवाही बरतना (यम-नियम आदि का ठीक से पालन नहीं करना या भूल जाना).
५. आलस्य :- शरीर व मन में एक प्रकार का भारीपन आ जाने से योग साधना नहीं कर पाना.
६. अविरति :- वैराग्य की भावना को छोड़कर सांसारिक विषयों की ओर पुनः भागना.
७. भ्रान्ति दर्शन :- योग साधना को ठीक से नहीं समझना, विपरीत अर्थ समझना. सत्य को असत्य और असत्य को सत्य समझ लेना.
८. अलब्धभूमिकत्व :- योग के लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होना. योगाभ्यास के बावजूद भी साधना में विकास नहीं दिखता है । इससे उत्साह कम हो जाता है ।09926077010
९. अनवस्थितत्व :- चित्त की विशेष स्थिति बन जाने पर भी उसमें स्थिर नहीं होना.
१०. दु:ख :- तीन प्रकार के दु:ख आध्यात्मिक,आधिभौतिक और आधिदैविक.
११. दौर्मनस्य :- इच्छा पूरी नहीं होने पर मन का उदास हो जाना या मन में क्षोभ उत्पन्न होना.
१२. अङ्गमेजयत्व‌ :- शरीर के अंगों का कांपना.
१३. श्वास :- श्वास लेने में कठिनाई या तीव्रता होना.
१४. प्रश्वास :- श्वास छोड़ने में कठिनाई या तीव्रता होना.
इस प्रकार ये चौदह विघ्न होते हैं. यदि साधक अपनी साधना के दौरान ये विघ्न अनुभव करता हो तो इनको दूर करने के उपाय करे. इसके लिए पतंजलि जी ने समाधि पाद सूत्र ३२ से ३९ तक ८ प्रकार के उपाय बताये हैं जो की इस प्रकार हैं :
१. तत्प्रतिषेधार्थमेकतत्त्वाSभ्यासः ||32||
योग के उपरोक्त विघ्नों के नाश के लिए एक तत्त्व ईश्वर का ही अभ्यास करना चाहिए. ॐ का जप करने से ये विघ्न शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं.
२. मैत्रीकरुणामुदितोपेक्षाणां सुखदुःखपुण्यापुण्यविषयाणां भावनातश्चित्तप्रसादनम् ||33||
सुखी जनों से मित्रता, दु:खी लोगों पर दया, पुण्यात्माओं में हर्ष और पापियों की उपेक्षा की भावना से चित्त स्वच्छ हो जाता है और विघ्न शांत होते हैं.
३. प्रच्छर्दनविधारणाभ्यां वा प्राणस्य ||34|| शिव मेहता , स्वामी आनंद शिव मेहता -- 09926077010  , इंदौर , indore , ujjain 
श्वास को बार-बार बाहर निकालकर रोकने से उपरोक्त विघ्न शांत होते हैं. इसी प्रकार श्वास भीतर रोकने से भी विघ्न शांत होते हैं.
४. विषयवती वा प्रवृत्तिरुत्पन्ना मनसः स्थितिनिबन्धिनी ||35|| 09926077010 
दिव्य विषयों के अभ्यास से उपरोक्त विघ्न नष्ट होते हैं.
५. विशोका वा ज्योतिष्मती ||36|| हृदय कमल में ध्यान करने से या आत्मा के प्रकाश का ध्यान करने से भी उपरोक्त विघ्न शांत हो जाते हैं.
६. वीतरागविषयं वा चित्तम् ||37||
रागद्वेष रहित संतों, योगियों, महात्माओं के शुभ चरित्र का ध्यान करने से भी मन शांत होता है और विघ्न नष्ट होते हैं.
७. स्वप्ननिद्राज्ञानालम्बनं वा ||38||
स्वप्न और निद्रा के ज्ञान का अवलंबन करने से, अर्थात योगनिद्रा के अभ्यास से उपरोक्त विघ्न शांत हो जाते हैं.
८.यथाभिमतध्यानाद्वा ||39|| --- shiv mehta --- swami aannd shiv mehta -- 09926077010
उपरोक्त में से किसी भी एक साधन का या शास्त्र सम्मत अपनी पसंद के विषयों (जैसे मंत्र, श्लोक, भगवन के सगुण रूप आदि) में ध्यान करने से भी विघ्न नष्ट होते हैं.o9926077010
 शिव मेहता , स्वामी आनंद शिव मेहता -- 09926077010  , इंदौर , indore , ujjain 

गुरुवार, 12 नवंबर 2015

श्री अमित शाह जी -- भाजपाध्यक्ष - आगामी कार्यकाल 2016 -2017 amit shah bjp president

 श्री अमित शाह जी -- भाजपाध्यक्ष - आगामी कार्यकाल 2016 -2017  amit shah bjp 

== आपकी आमद एक आश्चर्य जनक रूप से एक चमत्कारी नेता के रूप में  हुई और आपने सफलता के सूत्र को अपने अनुसार लागु कर सफलता को आरम्भ में ही प्राप्त किया जो समकालीन अध्यक्षों से आपको ज्यादा सफलतम की गिनती में लाती हे \\
== लोकसभा की सफलता , फिर महाराष्ट्र , हरियाणा , की सफलता , कश्मीर और झारखण्ड आपके कार्यकाल के उत्तम उदाहरण हे \\ 
== आपका जन्म   अक्टुम्बर 1964  मुंबई महाराष्ट्र , पिछले समय में आपने अनेको सफलताएं  पाई हे किन्तु 
== 2015 के आरम्भ के दिल्ली चुनाव और नवम्बर के बिहार चुनाव में आशातीत सफलता का आभाव रहा हे \
== अभी की इन घटनाओ से आपके आभामंडल की चमक कुछ फीकी हुई हे यह कुछ चेनलो में बताया जा रहा हे , और आगामी समय केसा रहेगा यह वीचरणीय हे , अभी कोई चमत्कारी नेता भाजपा में इस तरह का सम्मुख नहीं हे फिर भी भाजपा में जिसको भी अध्यक्ष बना दिया जायेगा वह चमत्कारी बन जायेगा \\
== आपके वास्तविक समय का पता नहीं होने से अंतिम निष्कर्ष में कुछ दुविधा हे किन्तु कुछ मूल निष्कर्ष सामने यह आता हे की गत वर्ष आपके मुंथा पराक्रम भाव में थी जिसने सम्पूर्णवर्ष पराक्रम बनाये रखा था , इस वर्ष यह मुंथा चतुर्थ भाव में हे और इसने आते से ही एक बड़ी अ सफलता और आभामंडल को भी प्रभावित किया हे \\
== इस वर्ष के आगामी चुनाव भी अप्रेल मई में होने को हे जिसमे अप्रेल माह के पथम सप्ताह से ही यह आरम्भ होकर मई के प्रथम सप्ताह तक यह चुनाव तीन राज्यों के संपन्न हो जायेंगे \\
== इस समय मासिक मुंथा का 6the और 7  वे भाव में रहेगी जो की प्रथम यह लगेगा की यह बहुत ही भारी इन पार्टियो पर हे किन्तु निर्णय के समय में यह मुंथा सातवे होगी जो की ठीक नही कहीं जा सकती हे , और इस समय ही इनके नक्षत्र को सूर्य के वेध होगा जो की शाशन को प्रभावित करेंगे और इस समय शनि का भी प्रभाव ठीक नहीं हे इनके लिए किन्तु विरोधियों के कुछ  कमजोर होने से इनको लाभ हे , स्वयं में बड़ा लाभ में कुछ कमी हे \\
==आपको चाहिए की इस समय किसी और ग्रहों से बलवान व्यक्ति को अधयक्ष बनवाकर और स्वयं मार्गदर्शक बनकर वहां पर सफलता प्राप्त करे == और इसके पश्चात पुनः यह पद सम्हाले या \\
== वर्तमान में होने वाले तीनो चुनावो में प्रभारी इन राज्यों में अलग अलग व्यक्तियों को बनवाए जिनके गृह मजबूत हों और उस समय प्रभावी हों आपका सितारा फिर एक बार बुलंद होगा \\ इसमें कोई संदेह नहीं हे \\
== आपको इस समय यह पद 7 माह के लिए त्याग देना चाहिए === शिव मेहता == 09926077010 
== यह जन्म की तारीख से लिखा हे == १२-११-२०१५ दीपावली के दूसरेदिन २ बजे  

--- पाकिस्तान तख्ता पलट , Military coups in पाकिस्तान , 1958, 1977 , 1999 सैन्य शाशन 2016 संभव

--- पाकिस्तान तख्ता पलट , Military coups in पाकिस्तान , 1958, 1977 , 1999 सैन्य शाशन 2016 संभव 

=== san 2030===2032 me agla sambhav he =yha nhin laga to nhin lagega fir 2016 
=== और अब क्या 2016 में संभव हे | इसका समय 2015 था जो अब निकल चूका हे \\
======= पकिस्तान गत वर्ष तख्ता पलट से बचा ==== 
Military coups in Pakistan-- military rule (1958 – 1971, 1977 – 1988, 1999 – 2008).
== गत वर्ष एक बहुत ही अच्छा रहा पाकिस्तान के लिए , जो वह एक बार फिर सैन्य शाशन के प्रभाव से बच गया , इस समय भी तख्ता पलट के योग बने थे किन्तु  पूर्ण योग न बनने से वह हो न सका \  
== आगामी वर्ष 2016  भी अप्रेल तक सैन्य शाशन की सम्भावना प्रतीत होती हे , जनवरी मास में कोई आंदोलन वहां अंदर ही अंदर कोई साजिस  सरकार के विरुद्ध करे \\ किन्तु इस समय सफलता की आशंका ही हे ,\\
== 2016  में यदि वहां कोई बड़ी साजिस नहीं होती हे तो आगामी 15  वर्षों में फिर तख्ता पलट की सम्भावना न्यून ही हे , किन्तु 2017  से 2020 तक वहां फिर से  बड़े धार्मिक   आंदोलन खून खराबे की आशंका हे और इस समय वहां पर बहुत नुकसान जातीय हिंशा में हो \\
== इस समय सैन्य या अन्य तख्ता पलट से पाकिस्तान बच गया तो फिर वह 2030 तक सुरक्षित शाशन व्यवस्था में चलेगा और छूट पुट आंदोलन तो होते ही रहेंगे किन्तु , वह तरक्की की और बढ़ेगा \\
== 2017  से 2019  के मध्य में एक  किसी बड़ी लड़ाई की आशंका लगती हे , जिसमे पाकिस्तान को बहुत नुकसान स्वयं ही उठाना पड़े , किन्तु यदि वहां पर , चुनी हुई सरकार रही तो शायद यह नहीं हो और पाक आगे बड़े , किन्तु इस समय 2016  में तख्ता पलट न हो तो वैसे अब यह होने की सम्भावना न्यून ही हे फिर भी कभी गृह अपना फल कुछ आगे पीछे युतिवश देते हे जिससे असमंजस बनता हे \\
== आगामी सैन्य शाशन वहां पर सं २०३१ ==३२ में लगने की पुनः सम्भावना इस समय के बाद होगी -- किन्तु 
== आगामी चुनाव में यदि फिर से एक बार फिर से यहीं सरकार बनने के चंश ज्यादा हे इससे यहां पर लोकतंत्र और मजबूत होगा और शाशन व्यवस्था ठीक रहेगी \\
== स्वामी आनंद शिव मेहता == शिव मेहता == 09926077010 ==
== हमने यहां किसी लड़ाई या युद्ध की कोई गणना नहीं की हे और न ही यहां यह लिखना हमारा कोई उद्देस्य हे इस कारण जो भी पाठक इसकी सम्भावना या कल्पना करते हे , वह अपना कल्पना लगाये \\ 
== 

रविवार, 1 नवंबर 2015

laxmi puja deevali puja muhurta pushya nakstra दीवाली पूजन , व्यापर वृद्धि हेतु लक्ष्मी पूजा 2015

laxmi puja  deevali puja  muhurta  pushya nakstra 

=== दीवाली पूजन == व्यापर वृद्धि हेतु = लक्ष्मी पूजा और = शिव मेहता --09926077010

--- पुष्य योग मंगलवार को खरीदने के हे किन्तु इस दिन उधार नहीं कुछ खरीदे --- और उधार खरीदना ही हे तो फिर आप लोग सोमवार को ही रात्री 8 .30 पश्चात लगने वाले पुष्य नक्षत्र में ही खरीदे , मंगल वार के पुष्य में लिया उधार आप चूका नहीं सकेंगे \\ आगे आपकी मर्जी == 09926077010
-----सर्वप्रथम बहीखाता (चोपड़ा) निर्माण या खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त---
 -- दिनांक 02 नवम्बर 2015 सोमवार -- रात्री 08 .40  बाद से सोम पुष्य का आगमन इस समय से चांदी के स्टाकिस्ट और खरीददार चांदी खरीदे और दुकानो हेतु चोपड़े भी खरीदे  खरीद - शुभ नक्षत्र सुयोग।।
--- दिनांक 03  नवम्बर  2015  मंगलवार  पुष्यामृत  योग -- व्यापरिक चोपड़े और घरेलु सामग्री खरीदे खरीदी का मुहूर्त किन्तु इस दिन उधारी में कुछ नहीं कहरीदे नहीं तो बहुत दिनों तक भी खर्ज चूका नहीं पावोगे === जिन्हे उधर ही खरीदना हे वह सोमवार को रात्रिकाल के पुष्य योग में वाहन किस्तों में खरीदे \\ 09926077010
.--दिनांक 06 नवम्बर 2015 (शुक्रवार) सिद्धियोग।।
.--दिनांक 08 नवम्बर 2015 (रविवार) सर्वार्थ सिद्धियोग, अमृत सिद्धियोग, 
.--दिनांक 09 नवम्बर 2015 (सोमवार) धनतेरस सुयोग।।
.--दिनांक 11 नवम्बर 2015 (बुधवार) दीपावली शुभ सुयोग।।
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पूजन के विशेष मुहूर्त---
धन तेरस (09 नवम्वर 2015,सोमवार) को--कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी रहेगी।। इस दिन कुबेर पूजन ,यम दीप दान एवम् श्री पूजन के लिए सायं 5 बजकर 45 मिनट से शाम को 8 बजकर 11 मिनट तक का समय उत्तम हैं।।
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दीपावली पर श्री लक्ष्मी पूजन--(चौघड़िया अनुसार)--
इस वर्ष 11 नवम्बर 2015 (बुधवार) को कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को श्री महालक्ष्मी पूजा दीपोत्सव हैं।।
इस दिन गादी स्थापना, कलम दवात संवारने हेतु प्रातः 6 बजकर 55 मिनट से 9 बजकर 30 मिनट तक लाभ अमृत का चौघड़िया रहेगा।।
सुबह 11 बजे 12 तक शुभ का चौघड़िया रहेगा।।
दोपहर में 3 बजकर 5 मिनट से 4 बजकर 25 मिनट तक चल का चोघड़िया रहेगा।।
ओर शाम को 4 बजकर 25 मिनट से 5 बजकर 45 मिनट तक लाभ का चौघड़िया रहेगा।।
शाम को 7 बजकर 25 मिनट से 9 बजकर 5 मिनट तक लाभ का चौघड़िया रहेगा।।
रात्रि में 9 बजकर 5 मिनट से 10 बहकर 45 मिनट तक अमृत का चौघड़िया रहेगा।।
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दीपावली पूजन (स्थिर लग्न अनुसार)---
इस वर्ष 11 नवम्बर 2015 (बुधवार) को रात्रि 11 बजकर 15 मिनट तक कार्तिक कृष्ण अमावस्या रहेगी।। लक्ष्मी पूजन प्रदोष युक्त अमावस्या में स्थिर लग्न एवम् स्थिर नवांश में किया जाना उत्तम रहता हैं।।
अतः रात्रि 6 बजकर 10 मिनट से 6 बजकर 20 मिनट तक वृषभ एवम् स्थिर नवांश कुंभ में तथा रात्रि 7 बजकर 25 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक वृषभ लग्न और सिंह नवांश पूजा का श्रेष्ठ समय रहेगा।।
स्थिर लग्न अनुसार श्री पूजन ---
वृषभ लग्न--शाम को 6 बजे से 7 बजकर 50 मिनट तक।।
मिथुन लग्न--शाम को 7 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।।
कुम्भ लग्न-- दोपहर में 1 बजकर 30 मिनट से दोपहर 3 बजे तक रहेगा।।
निशिथ काल-- रात्रि 11 बजकर 55 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।।
सिंह लग्न-- मध्यरात्रि (अर्धरात्रि) में 12 बजकर 32 मिनट से 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।।
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प्रदोष काल में पूजन मुहूर्त---
11 नवम्बर 2015 (बुधवार) को सायं 5 वजकर 5 मिनट से रात्रि 7 बजकर 30 मिनट तक प्रदोष काल में पूजन कार्य शुभ रहेगा।।
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इस वर्ष दीपावली 11 नवम्बर 2015 ( बुधवार) को मनाई जायेगी।। इस दिन स्वाति नक्षत्र रहेगा।। जिसका करके ग्रह शुक्र हैं।। इस दिन चंद्रमा तुला राशि में रहेगा वृद्धि होगी चाँदी , सूत , रुई की याने मंदी।। 
इस दिन पूजा के समय माँ लक्ष्मी जी का मुख नेऋत्य में रखे  और अपना मुंह ईशान कोण में रखें।।
विशेष लाभ हेतु-- 
माता लक्ष्मी जी को केसरिया धागे में बनी1008 मखाने की माला अर्पित करें।। पूजन के इसका प्रसाद सभी परिजन ग्रहण करें।। या 108  कमल गट्टे की माला पहनाये ||
लक्ष्मी जी को कांसी की थाली में बिठाएँ।। या बन सके तो चांदी की थाली में ||
लक्ष्मी जी को केसर, और गोलोचन का तिलक लगाएं।।
लक्ष्मी जी की संभव हो सके तो चांदी की प्रतिमा को ही पूजन में प्राथमिकता दे ||
लक्ष्मी जी के स्थायित्व हेतु आप साथ में श्री यन्त्र का भी पूजन कर स्थापित करें || 
लक्ष्मी जी को स्वेत पलाश की पादुकाएं अर्पित करें ||
लक्ष्मी जी को स्वेत पलाश के पुष्प सूखे अर्पित करे इससे लक्ष्मी स्थिर रहती हे ||
लक्ष्मी जी का पीले  रंग के ऊनि आसान पर बैठकर पूजन करें।।
लक्ष्मी जी के स्थायित्व हेतु आप धनवृद्धि भूतकेशी भी अभिमंत्रित करें यह लक्ष्मी को आकर्षित करती हे ||
लक्ष्मी जी के दायें तरफ पीतल के बर्तन में देशी घी का दीपक जलाकर चीनी (शक्कर) डालें।।
लक्ष्मी जी के बाएं तरफ आंवले के तेल का दीपक (मिटटी का) जलाएं।।
लक्ष्मी जी के साथ परिवार में कलह होता हो या परिवार में पुरुष सदस्यों की कमी हो या पुरुष सदस्यों की अ समय ही मृत्यु या एक्सीडेंट होने से नुकसान हो तो आप लक्ष्मी जी के साथ ही एक स्वेतार्क श्री गणेश प्रतिमा का भी पूजन कर घर में स्थापित करें || 09926077010 
लक्ष्मी जी की कामना और प्राप्ति जो चाहते हो वह किसी भी महिला का अपमान न करे और अपनी पत्नी का तो भूलकर भी नहीं और न ही परिवार की स्त्रियों का अपमान करे , उन्हें यथा संभव वस्त्र और धन देकर संतुष्ट रखे ||
लक्ष्मी जी सदेव भंडार भरा रखे इस हेतु साथ ही अन्नपूर्णा जी की भी पूजा या उनके स्त्रोत्र का पाठ करें ||
माता लक्ष्मी को घर में बनी केसर वाली और मखाने डली खीर और मुंग की दाल के हलवे का भोग लगाएं।। पूजन के पश्चात् अगले दिन सभी परिजन इसे ग्रहण करें।। बुद्धि ठीक रहेगी और परिवार में एकता बढ़ेगी।।
माता लक्ष्मी को पिपरमेंट,गुलकंद और वर्क लगा पान (बिना चुना लगा) अर्पण करना ना भूलें।।
इसके फलस्वरूप आपका यश,वैभव और समृद्धि दिनोदिन बढती जायेगी।। 09926077010

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2015

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Compatible Elements , metal , mcx price,commodity  market, astrolozy 

Compatible Elements

  • Water and metal - Metal is an element that draws water. The water element attracts wealth and money. And whenever these two elements come together they create a great partnership. Both know how to make money and how to take advantage of opportunities.Metal enjoys taking care of water and nurturing her. Water on the other hand enjoys the sense of security that metal gives. Together, they can create a dynasty.
  • Earth and metal - Metal is created by the element earth. This combo makes for a very solid relationship. Metal is dependent on earth for grounding. A metal man will treat his mate as a true partner and value her opinions. Decision-making as a couple is methodical with all the pros and cons carefully weighed. Earth provides metal with the security of hearth and home.

Incompatible Elements

  • Fire and metal - These two elements will clash. In most cases, fire will assume a dominating role over metal, attempting to bend him to her will. Fire's mandate is to form and mold metal in a desire shape, but metal is too stubborn to allow himself to be manipulated for controlled. This combination is doomed from the start.
  • Wood and metal - Wood is cut by metal. While woo can be carved into a beautiful piece of furniture or sculpture, it can easily be destroyed by metal. In relationships, metal is critical of wood and wood quickly grows resentful.
  • Characteristicsof Metal People
  • A person born under the metal element will pursue his goals with a single-minded purpose, and has an unwavering confidence in himself and his ability to attain his goals.

    Overwhelming Desire to Succeed

    Metal people can overcome most obstacles and meet challenges head on, and these are very good traits. This type of dogged determination can help them in their quest for the prize. However, this same element can sometimes make them ruthless in their desire to accomplish their missions. This driving need to succeed is so ingrained in a metal person that there is a risk that this can become an Achilles' heel. When such an attribute is taken to the extreme, it no longer serves as a strength and transforms into a weakness.

    Stubborn

    One of the strongest traits that can be both positive and negative is the metal person's penchant for stubbornness. This can also make him inflexible and set in his ways. He might get into frequent arguments if he doesn't consciously try to be more accepting, especially of others.

    Self-Sufficient Loners

    You will find metal people being drawn to a lifestyle that tests their self-reliance. They find great satisfaction in overcoming insurmountable odds. For some it can become addictive as they place themselves in even more challenging circumstances just to prove to themselves that they can do it.

    Difficulty Recognizing Lost Causes

    A metal person is often unable to recognize a lost cause. It blinds him to the truth that the original goal wasn't right. Getting a metal person to first acknowledge such a situation is only a small part of the challenge. The rest is convincing him to let it go and move on.
    For a metal person it's almost impossible to admit defeat, much less surrender to a power greater than himself. The metal element is demanding and unforgiving. Perfection is an ideal, but gaining the objective is the utmost objective.

    Lucky with Money

    Metal people have an excellent instinct when it comes to money, and they tend to accumulate material wealth. They may even appear to have the "Midas touch." This is good since they also possess the taste for luxury living.
    You will often discover quite a collection of fine art in a metal person's home, especially when it comes to metal sculptures. This person's affinity for his element is usually reflected in the type of jewelry he wears. Precious metals are prized possessions, and he doesn't mind showing off his affluence.

    Careers

    Metal people find it difficult to conform to society's expectations. A nine-to-five job within a large company is not suitable for mostmetal personalities. A metal person needs to be independent and finds that he's better off working on his own. This element drives him to seek risk-taking careers, which might include:
    • Stunt work
    • Military career
    • Test pilot
    • Ocean-related jobs
    Any type of physically and mentally challenging job holds an allure for a metal person.

    Living with Metal Element Zodiac Sign

    The best advice for anyone in a relationship with a metal element zodiac sign is to give him plenty of freedom and space to exercise what he believes to be his God-given right to explore and test his mettle. If you attempt to cage a metal person in, the relationship will most likely fail.

सोमवार, 12 अक्तूबर 2015

SHIV MEHTA ASTROLOGER: 9 औषधियों में विराजती है नवदुर्गा ,navdurga ke ...

SHIV MEHTA ASTROLOGER: 9 औषधियों में विराजती है नवदुर्गा ,navdurga ke ...: इन 9 औषधियों में विराजती है नवदुर्गा , navdurga ke nav rup , navratree , मां दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे सं...

9 औषधियों में विराजती है नवदुर्गा ,navdurga ke nav rup

इन 9 औषधियों में विराजती है नवदुर्गा ,navdurga ke nav rup , navratree ,

मां दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे संकट हर लेती हैं। इस बात का जीमें उपलब्ध वे औषधि‍यां, जिन्हें मां दुर्गा के विभि‍न्न स्वरूपों के रूप में जाना जाता है। नवदुर्गा के नौ औषधि‍ स्वरूपों को सर्वप्रथम मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति के रूप में दर्शाया गया और चिकित्सा प्रणाली के इस रहस्य को ब्रह्माजी द्वारा उपदेश में दुर्गाकवच कहा गया है।
ऐसा माना जाता है कि यह औषधि‍यां समस्त प्राणि‍यों के रोगों को हरने वाली और और उनसे बचा रखने के लिए एक कवच का कार्य करती हैं, इसलिए इसे दुर्गाकवच कहा गया। इनके प्रयोग से मनुष्य अकाल मृत्यु से बचकर सौ वर्ष जीवन जी सकता है। आइए जानते हैं दिव्य गुणों वाली नौ औषधियों को जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है -
1 प्रथम शैलपुत्री यानि हरड़ - नवदुर्गा का प्रथम रूप शैलपुत्री माना गया है। कई प्रकार की समस्याओं में काम आने वाली
औषधि‍ हरड़, हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है, जो सात प्रकार की होती है।
इसमें हरीतिका (हरी) भय को हरने वाली है।
पथया - जो हित करने वाली है।
कायस्थ - जो शरीर को बनाए रखने वाली है।
अमृता - अमृत के समान

हेमवती - हिमालय पर होने वाली।
चेतकी -चित्त को प्रसन्न करने वाली है।
श्रेयसी (यशदाता) शिवा - कल्याण करने वाली।
2 द्वितीय ब्रह्मचारिणी यानि ब्राह्मी - ब्राह्मी, नवदुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों का नाश करने वाली और स्वर को मधुर करने वाली है। इसलिए ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है। 
यह मन एवं मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है और गैस व मूत्र संबंधी रोगों की प्रमुख दवा है। यह मूत्र द्वारा रक्त विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है। अत: इन रोगों से पीड़ित व्यक्ति को ब्रह्मचारिणी की आराधना करना चाहिए।
तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेती चतुर्थकम
3 तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर - नवदुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है।
यह औषधि‍ मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए।
4 चतुर्थ कुष्माण्डा यानि पेठा - नवदुर्गा का चौथा रूप कुष्माण्डा है। इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान है। यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर हृदय रोग को ठीक करता है। कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर करता है। इन बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पेठा का उपयोग के साथ कुष्माण्डा देवी की आराधना करना चाहिए।
पंचम स्कन्दमा‍तेति षष्ठमं कात्यायनीति च
5 पंचम स्कंदमाता यानि अलसी - नवदुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता है जिन्हें पार्वती एवं उमा भी कहते हैं। यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त, कफ, रोगों की नाशक औषधि है।
अलसी नीलपुष्पी पावर्तती स्यादुमा क्षुमा।
अलसी मधुरा तिक्ता स्त्रिग्धापाके कदुर्गरु:।।
उष्णा
दृष शुकवातन्धी कफ पित्त विनाशिनी।
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति ने स्कंदमाता की आराधना करना चाहिए।
6 षष्ठम कात्यायनी यानि मोइया - नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है। इससे पीड़ित रोगी को इसका सेवन व कात्यायनी की आराधना करना चाहिए।
सप्तमं कालरात्रीति महागौ‍रीति चाष्टम
7 सप्तम कालरात्रि यानि नागदौन - दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि है जिसे महायोगिनी, महायोगीश्वरी कहा गया है। यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक सर्वत्र विजय दिलाने वाली मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है।इस पौधे को व्यक्ति अपने घर में लगाने पर घर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह सुख देने वाली
वं सभी विषों का नाश करने वाली औषधि है। इस कालरात्रि की आराधना प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को करना चाहिए।
8 अष्टम महागौरी यानि तुलसी - नवदुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है, जिसे प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप में जानता है क्योंकि इसका औषधि नाम तुलसी है जो प्रत्येक घर में लगाई जाती है। तुलसी सात प्रकार की होती है- सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरुता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये सभी प्रकार की तुलसी रक्त को साफ करती है एवं हृदय रोग का नाश करती है।

तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमंजरी।
अपेतराक्षसी महागौ
री शूलघ्‍नी देवदुन्दुभि:
तुलसी कटुका तिक्ता हुध उष्णाहाहपित्तकृत् ।
मरुदनिप्रदो हध तीक्षणाष्ण: पित्तलो लघु:।
इस देवी की आराधना हर सामान्य एवं रोगी व्यक्ति को करना चाहिए।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता
9 नवम सिद्धिदात्री यानि शतावरी - नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है, जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं। शतावरी बुद्धि बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार एवं वात पित्त शोध नाशक और हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है। सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री देवी की आराधना करना चाहिए।
इस प्रकार प्रत्येक देवी आयुर्वेद की भाषा में मार्कण्डेय पुराण के अनुसार नौ औषधि के रूप में मनुष्य की प्रत्येक बीमारी को ठीक कर रक्त का संचालन उचित एवं साफ कर मनुष्य को स्वस्थ करती है। अत: मनुष्य को इनकी आराधना एवं सेवन करना चाहिए। 09926077010