रविवार, 17 जनवरी 2016

navgrah mantra , नवग्रह मंत्र , गृह शांती , दान , शांती पेड़ों की मूल से ,घरेलु टोटके , grah shantee , jado se shantee ,

, नवग्रह मंत्र , गृह शांती , दान , शांती पेड़ों की मूल से ,घरेलु टोटके ,  grah shantee , navgrah mantra , jado se shantee , saste dan , upay , totka , 

swami aannd shiv mehta , शिव मेहता , आनंद शिव मेहता 
grah shantee == vraksh mul se bhi 
ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
सूर्य==09926077010=
यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच का होकर तुला राशि में है और केंद्र में या लग्नस्थ है तो कृत्तिका नक्षत्र वाले दिन बेल का एक जड़ प्रात:काल तोडक़र,शिवालय में शिवजी को समर्पित करें और
ऊँ भास्कराय ह्रीं
मंत्र का जाप करने के पश्चात गुलाबी धागे से धारण करें. प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करते रहें. रोग,संतानहीनता जैसी अन्य कई समस्याओं का समाधान होगा.
चंद्र==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
यदि आप की कुंडली में चंद्र नीच का होकर वृश्चिक राशि में है,या राहु,केतु और शनि द्वारा प्रभावित है तो, रोहिणी नक्षत्र वाले दिन खिरनी की जड़, शुद्ध करके शिवजी को समर्पित करें और
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स:चंद्रमसे नम:
मंत्र का जाप कर के सफेद धागे में धारण करें. फेफड़े सम्बंधित रोग,एकाकीपन और भावनात्मक समस्याओं का समाधान होगा.
मंगल==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
आपकी कुंडली में मंगल नीच का होकर कर्क राशि में हो या आप मांगलिक हों तो मृगशिरा नक्षत्र वाले दिन अनंतमूल की जड़ शुद्धिकरण के पश्चात हनुमान जी की पूजा कर के\
ऊँ अं अंगारकाय नम:
मंत्र का जाप कर के नारंगी धागे से धारण करें. क्रोध,अवसाद और वैवाहिक बाधा से मुक्ति मिलेगी==099260770q0 बुध==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
यदि आपकी कुंडली में बुध द्वादश,अष्टम भाव में या नीच का होकर मीन राशि में है, तो आप आश£ेषा नक्षत्र वाले दिन विधारा की जड़ गणेश भगवान को को समर्पित करने के पश्चात \
ऊँ बुं बुधाय नम:

मंत्र का जाप कर के हरे रंग के धागे में धारण करें. इस से बुद्धि विकसित होगी तथ निर्णय लेने में हो रही त्रुटि का भी समाधान होगा.
गुरु=ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर =
आपकी कुंडली में यदि गुरु रहु द्वरा युक्त है,राहु द्वारा ²ष्ट है या नीच का होकर मकर राशि में है,तो शुद्ध और ताजी हल्दी की गाँठ पीले धागे में, पुनवर्सु नक्षत्र वाले दिन कृष्ण भगवान या बृहस्पति देव जी की पूजा कर के ऊँ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जप करके धारण करें. व्यवसाय,नौकरी,विवाह सम्बन्धी समस्या और लीवर सम्बन्धी रोगों में लाभ होगा.
शुक्र==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
यदि आपकी कुंडली में शुक्र अष्टम भाव में है या नीच का होकर कन्या राशि में है, तो आप सरपोंखा की जड़, भरणी नक्षत्र वाले दिन सफेद धागे से सायंकाल के समय लक्ष्मी जी का पूजन कर\
ऊँ शुं शुक्राय नम: === 
मंत्र का जाप कर के धारण करें. संतानहीनता,कर्ज की अधिकता और धन के अभाव जैसी समस्या से मुक्ति मिलेगी.09926077010 
शनि==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
आपकी कुंडली में यदि शनि सूर्य युक्त है,सप्तम भाव में है या नीच का होकर मेष राशि में है तो आप अनुराधा नक्षत्र वाले दिन बिच्छू या बिच्छौल की घांस को नीले धागे से काली जी की पूजा के पश्चात \
ऊँ शं शनैश्चराय नम:
मंत्र का जाप कर के धारण करें. कार्यों में हो रहे विलम्ब,कानूनी अड़चन और रोगों से मुक्ति मिलेगी.

राहु====ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
आपकी कुंडली में राहु लग्न,सप्तम या भाग्य स्थान मे है, तथा शुभ ग्रहों से युक्त है तो आप आद्र्रा नक्षत्र वाले दिन चन्दन की लकड़ी का टुकड़ा शिव जी का अभिषेक कर के भूरे धागे में
ऊँ रां राहुए नम:
मंत्र का जाप कर के धारण करें. रोग,चिड़चिड़ापन,क्रोध,बुरी आदतों तथा अस्थिरता से मुक्ति मिलेगी.
केतु== 09926077010 
यदि आपकी कुंडली में केतु,चन्द्र या मंगल युक्त होकर लग्नस्थ है, तो आप अश्विनी नक्षत्र वाले दिन गणेश जी का पूजन करने के पश्चात शुद्ध की हुई असगन्ध या अश्वगन्धा की जड़
, ऊँ कें केतवे नम:
मंत्र का जाप करने के पश्चात, नारंगी धागे से धारण करें. चर्म सम्बन्धी रोग,किडनी रोगों और वैवाहिक समस्याओं में लाभ होगा.
याद रखें कि समस्या की पूर्ण मुक्ति के लिये, आपको मंत्रों का जाप प्रतिदिन करना होगा.
grahon ka dan === sarv sulabh he yah apnaye 
ग्रह और उनसे सम्बन्धित दान समग्री
यदि आपको कोई ग्रह pida है,तो सम्बन्धित जड़ को धारण करने के पश्चात उस से सम्बन्धित वस्तुओं का लोगों को दान करने से भी लाभ होता है:
सूर्य :
माणिक्य, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़, केसर अथवा तांबा.
चंद्र :
बांस की टोकरी, चावल, श्वेत वस्त्र, श्वेत पुष्प, घी से भरा पात्र, चांदी, मिश्री, दूध, दही.
मंगल 
: मूंगा, गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र, कनेर पुष्प, गुड़, तांबा, लाल चंदन, केसर.
बुध :09926077010 

हरे मूंग, हरा वस्त्र, हरा फल, पन्ना, केसर, कस्तूरी, कपूर, घी, मिश्री, धार्मिक पुस्तकें.
गुरू :
घी, शहद, हल्दी, पीत वस्त्र, शास्त्र पुस्तक, पुखराज, लवण, कन्याओं को भोजन.
शुक्र :
सफेद वस्त्र, श्वेत स्फटिक, चावल, सुगंधित वस्तु, कपूर, अथवा पुष्प, घी- शक्कर- मिश्री-दही.
शनि 
: तिल, सभी तेल, लोहा धातु, छतरी, काली गाय, काला कपड़ा, नीलम, जूता,कंबल.
राहु =09926077010 
: गेहूं, उड़द, काला घोड़ा, खडग़, कंबल, तिल, लौह, सप्त धान्य, अभ्रक.
केतु : 
तिल, कंबल, काला वस्त्र तथा पुष्प, सभी तेल, उड़द, काली मिर्च, सप्तधान्य.ka dan kare

Career & Karakamsh Kundali ,कॅरियर और कारकांश कुंडली , कॅरियर कोण सा कैसे बनाये \

Career & Karakamsh Kundali कॅरियर और कारकांश कुंडली , कॅरियर कोण सा कैसे बनाये \


keriyar chuno or aage badon 

09926077010 ya hamse jano 


\आज युवाओं के बीच सबसे अधिक चिंता का विषय आजीविका है.चिंता के इस विषय का समाधान ज्योतिष विधि से किया जाए तो मुश्किल काफी हद तक आसान हो सकती है.ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार हमारी कुण्डली में सब कुछ लिखा है बस उसे गहरी से जानने की आवश्यकता है.आइये जानें क्या 

कहती है कुण्डली कैरियर के बारे में.

आजीविका और कैरियर के विषय में दशम भाव को देखा जाता है (Tenth Bhava is for Career).दशम भाव अगर खाली है तब दशमेश जिस ग्रह के नवांश में होता है उस ग्रह के अनुसार आजीविका का विचार किया जाता है.द्वितीय एवं एकादश भाव में ग्रह अगर मजबूत स्थिति में हो तो वह भी आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार व्यक्ति की कुण्डली में दशमांश शुभ स्थान पर मजबूत स्थिति में होता है (Strongly placed tenth lord) तो यह आजीविका के क्षेत्र में उत्तम संभावनाओं का दर्शाता है.दशमांश अगर षष्टम, अष्टम द्वादश भाव में हो अथवा कमज़ोर हो तो यह रोजी रोजगार के संदर्भ में कठिनाई पैदा करता है.\
जैमिनी पद्धति के अनुसार व्यक्ति के कारकांश कुण्डली में लग्न स्थान में सूर्य या शुक्र होता है तो व्यक्ति राजकीय पक्ष से सम्बन्धित कारोबार करता है अथवा सरकारी विभाग में नौकरी करता है.कारकांश में चन्द्रमा लग्न स्थान में हो (Moon in Ascendant in Karakamsh Kundali) और शुक्र उसे देखता हो तो इस स्थिति में अध्यापन के कार्य में सफलता और कामयाबी मिलती है.कारकांश में चन्द्रमा लग्न में होता है और बुध उसे देखता है तो यह चिकित्सा के क्षेत्र में कैरियर की बेहतर संभावनाओं को दर्शाता है.कारकांश में मंगल के लग्न स्थान पर होने से व्यक्ति अस्त्र, शस्त्र, रसायन एवं रक्षा विभाग से जुड़कर सफलता की ऊँचाईयों को छूता है.
कारकांश लग्न में जिस व्यक्ति के बुध होता (Mercury in Ascendant of Karakamsh Kundali) है वह कला अथवा व्यापार को अपनी आजीविका का माध्यम बनता है तो आसानी से सफलता की ओर बढ़ता है.कारकांश में लग्न स्थान पर अगर शनि या केतु है तो इसे सफल व्यापारी होने का संकेत समझना चाहिए.सूर्य और राहु के लग्न में होने पर व्यक्ति रसायनशास्त्री अथवा चिकित्सक हो सकता है.

ज्योतिष विधान के अनुसार कारकांश से तीसरे, छठे भाव में अगर पाप ग्रह स्थित हैं या उनकी दृष्टि है तो इस स्थिति में कृषि और कृषि सम्बन्धी कारोबार में आजीविका का संकेत मानना चाहिए.कारकांश कुण्डली में चौथे स्थान पर केतु (Ketu in fourth house of Karakamsh Kundali) व्यक्ति मशीनरी का काम में सफल होता है.राहु इस स्थान पर होने से लोहे से कारोबार में कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली में चन्द्रमा अगर लग्न स्थान से पंचम स्थान पर होता है और गुरू एवं शुक्र से दृष्ट या युत होता है तो यह लेखन एवं कला के क्षेत्र में उत्तमता दिलाता है.
कारकांश में लग्न से पंचम स्थान पर मंगल (Mars in fifth house of Karakamsh Kundali) होने से व्यक्ति को कोर्ट कचहरी से समबन्धित मामलों कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली के सप्तम भाव में स्थित होने से व्यक्ति शिल्पकला में महारत हासिल करता है और इसे अपनी आजीविका बनाता है तो कामयाब भी होता है.करकांश में लग्न से पंचम स्थान पर केतु व्यक्ति को गणित का ज्ञाता बनाता है.
docter banne ke yog 
”जैमिनी सूत्रम्“ के श्लोक नं. 87 के अनुसार यदि कारकांश लग्न में शुक्र या चंद्र हो और वहां स्थित चंद्र को बुध देखता हो तो जातक डाॅक्टर होता है। Û आचार्य मुकंद देवज्ञ के अनुसार यदि आत्मकारक ग्रह मंगल हो या मेष या वृश्चिक नवांश में हो तो जातक डाॅक्टर होता है। Û यदि आत्मकारक ग्रह मंगल का संबंध चंद्र या सूर्य से हो तो जातक सरकारी अस्पताल में डाॅक्टर होता है। विवेचन एवं विश्लेषण: इसमें हमने 36 कुंडलियों का अध्ययन किया। इस सर्वेक्षण में हमने पाया कि अधिकतर जातक की कुंडलियों में आत्मकारक ग्रह बुध है और बुध का दृष्टि-युति प्रभाव कुल मिलाकर 52 प्रतिशत सबसे अधिक पाया गया। बुध का जो कि बुद्धि, स्मरण शक्ति, तर्क का प्रतीक है जातक को चिकित्सक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। बुध के बाद सूर्य का आत्मकारक ग्रह के रूप में महत्वपूर्ण योगदान रहा, सूर्य जो कि औषधि और स्वास्थ्य का कारक है। चिकित्सक बनने के लिए इसका बली होना जरूरी है। इसके बाद मंगल का जो कि शक्ति, ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है। प्रभाव सबसे अधिक पाया गया। अगर आत्मकारक ग्रह मंगल हो या मंगल के नवांश में हो या नवांश कुंडली में मंगल से दृष्ट हो या युक्त हो तो डाॅक्टर होता है। मंगल क्योंकि रक्त का कारक है। तेज धार वाले औजारों का कारक है। चिकित्सा क्षेत्र में इनका योगदान होता है। इसलिए बली मंगल का जातक को चिकित्सक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। राहु और केतु को यद्यपि आत्मकारक नहीं माना फिर भी इसका युति व दृष्टि प्रभाव सबसे अधिक रहा। राहु केतु का सम्मिलित प्रभाव 61 प्रतिशत आश्चर्यजनक है। राहु एंटीबायटिक औषधियों का प्रतीक है। जीवाणुनाशक औषधियों द्वारा रोग का उपचार करने में राहु व केतु का बली होना आवश्यक है। ग्रह युति प्रभाव: हमारे सर्वेक्षण में डाॅक्टरों की कुंडलियों में बुध केतु और मंगल का युति प्रभाव सबसे अधिक देखा गया। दृष्टि प्रभाव: आत्मकारक ग्रह पर सबसे अधिक राहु का दृष्टि प्रभाव था, राहु का 25 प्रतिशत दृष्टि प्रभाव 

ज्योतिष :कुंडली से जाने:नौकरी के योग :किसे नौकरी मिलगी :नौकरी मे बाधाओं और उपाय :Astrology :Job yog: Who will get Jobs: obstacles and upay :

ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं। कुंडली से जाने:नौकरी के योग :   किसे  नौकरी मिलगी :नौकरी मे बाधाओं और  उपाय :
रोजगार: 10 वीं हाउस, 2 हाउस और सूर्य
दशम भाव:कारक ---
पेशे, प्रसिद्धि, बिजली, स्थिति, अधिकार, सम्मान, सफलता, स्थिति, घुटनों, चरित्र, कर्म, जीवन, पिता, वरिष्ठ अधिकारियों, व्यापार में स्वयं और वरिष्ठ अधिकारियों, सफलता के बीच संबंध, पदोन्नति, सरकार से मान्यता राज्य, व्यापार, नौकरी, प्रशासनिक स्तर, मान-सम्मान, सफलता, सार्वजनिक जीवन, घुटने, संसद, विदेश व्यापार, आयात-निर्यात, विद्रोह
 दूसरा हाउस:कारक ---shiv mehta 09926077010 
धन, परिवार, भाषण, दाहिनी आंख, नाखून, जीभ, नाक, दांत, महत्वाकांक्षा, भोजन, कल्पना, धोखाधड़ी आभूषण,  कुटुंब, वाणी विचार, धन की बचत, सौभाग्य, लाभ-हानि, आभूषण, दृष्टि, दाहिनी आँख, स्मरण शक्ति, नाक, ठुड्डी, दाँत,  कला, सुख, गला, कान,
सूर्य :आत्मा, स्वास्थ्य, पिता, शक्ति, रॉयल्टी, सत्ता, शोहरत, नाम, साहस, विरासत, चिकित्सा,  प्रतिष्ठा, ताकत, , ज्ञान इच्छाशक्ति, ऊर्जा,सौभाग्य ,

 कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम: प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।
डी 9 ,डी १० चार्ट मे भी दिखना है। 
लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में 
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में 
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या anter dsha me 
दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में  
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।swami aannd shiv mehta = 09926077010 
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।

छठा भाव :छठा भाव नौकरी का एवं सेवा का है।
छठे भाव का कारक भाव शनि है।
 दशम भाव या दशमेश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी  करता है। 

राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :
जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है।  
 गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
गोचर  : नौकरी मिलने के समय शनि या गुरु का या दोनों का दशम भाव और दशमेश दोनों से या किसी एक से संबंध होता है।सरकारी नौकरी:यह जान लें कि दशम भाव बली हो तो नौकरी  .
 नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति 
सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर  सरकारी
 नौकरी करता है।
 केंद्र में गुरु स्थित होने पर 
सरकारी नौकरी मे  उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी karta he \ 
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी करता है.
मंगल 
कुण्डली में बली हो तो पुलिस, खुफिया विभाग अथवा सेना में उच्च पद होने की संभावना होती है।
गुरु 
कुण्डली में बली हो तो  जातक को अच्छा वकील, जज, धार्मिक प्रवक्ता , ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद बनाता है।
बुध 
कुण्डली में बली हो तो  व्यापारी, लेखक, एकाउन्टेंट, लेखन एवं प्रकाशन, में  ।
शुक्र 
कुण्डली में बली हो तो  फिल्मी कलाकार,  गायक, सौंदर्य संबंधी ।
राहु से आयात व्यापार एवं केतु से निर्यात व्यापार ।  

 कामयाबी योग :
shiv mehta 09926077010 
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।  
फलादेश कैसे करते  है ----
 - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते
shiv mehta 00026077010 
सूर्य और कॅरियर:  दसवां भाव सूर्य काघर माना गया है। दसवें घर से  प्रोफेशन, कॅरियर, कार्यस्थल, कार्य सफलता, प्रगति देखी जाती है। दसवें भाव में कोई अनिष्टकारी घर बैठा हो, सूर्य नीच एवं किसी ग्रह से पीड़ित हो,  सूर्य को ग्रहण लगा हो तो व्यक्ति के कॅरियर में समस्याएं आती हैं।  
नौकरी मिलने में बाधा आ रही हो और पदोन्नति में समस्याएं आ रही हो ,उन्हें सूर्य साधना से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है।
 सूर्य के उपाय 09926077010
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
 ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
 गायत्री का जप कर ले
 घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे
पिता की सेवा
शराब और मांसाहार न खिलाये
शिवजी ,पीपल के उपाय।

 कॅरियर में सफलता के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करें।
लाल वस्त्र, लाल चन्दन, तांबे का बर्तन, केसर, गुड़, गेहूं का दान रविवार को करना शुभ फल प्रदान करता है।
 रविवार काव्रत रखें, इस दिन नमक का प्रयोग न करें।
  घर से बहार निकलने से पहले थोड़ा सा गुड़ खाएं।
 माता पिता के पांव छुकर आशीर्वाद लें।

 नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिष को  दिखाइए ।09926077010 shiv mehta 

रविवार, 3 जनवरी 2016

हाथ देखकर कुंडली बनाना , अज्ञात कुंडली बनाना , जिनकी जन्म तिथि न हो उनकी कुंडली बनाना

 हाथ देखकर   कुंडली बनाना , अज्ञात कुंडली बनाना , जिनकी जन्म तिथि न हो उनकी कुंडली बनाना 

कभी कभी किसी कारणवश जन्म तारीख और दिन माह वार आदि का पता नही होता है,कितनी ही कोशिशि की जावे लेकिन जन्म तारीख का पता नही चल पाता है,जातक को सिवाय भटकने के और कुछ नही प्राप्त होता है,किसी ज्योतिषी से अगर अपनी जन्म तारीख निकलवायी भी जावे तो वह क्या कहेगा,इसका भी पता नही होता है,इस कारण के निवारण के लिये आपको कहीं और जाने की जरूरत नही है,किसी भी दिन उजाले में बैठकर एक सूक्षम दर्शी सीसा लेकर बैठ जावें,और अपने दोनो हाथों बताये गये नियमों के अनुसार देखना चालू कर दें,साथ में एक पेन या पैंसिल और कागज भी रख लें,तो देखें कि किस प्रकार से अपना हाथ जन्म तारीख को बताता है।शिव मेहता -- 09926077010 === इंदौर 
==== mujhe to thik lga -- koshish kare aap ===
अपनी वर्तमान की आयु का निर्धारण करें-- 09926077010 , shiv mehta 
हथेली मे चार उंगली और एक अगूंठा होता है,अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत,फ़िर पहली उंगली तर्जनी उंगली की तरफ़ जाने पर अंगूठे और तर्जनी के बीच की जगह को मंगल पर्वत,तर्जनी के नीचे को गुरु पर्वत और बीच वाली उंगली के नीचे जिसे मध्यमा कहते है,शनि पर्वत,और बीच वाली उंगले के बाद वाली रिंग फ़िंगर या अनामिका के नीचे सूर्य पर्वत,अनामिका के बाद सबसे छोटी उंगली को कनिष्ठा कहते हैं,इसके नीचे बुध पर्वत का स्थान दिया गया है,इन्ही पांच पर्वतों का आयु निर्धारण के लिये मुख्य स्थान माना जाता है,उंगलियों की जड से जो रेखायें ऊपर की ओर जाती है,जो रेखायें खडी होती है,उनके द्वारा ही आयु निर्धारण किया जाता है,गुरु पर्वत से तर्जनी उंगली की जड से ऊपर की ओर जाने वाली रेखायें जो कटी नही हों,बीचवाली उंगली के नीचे से जो शनि पर्वत कहलाता है,से ऊपर की ओर जाने वाली रेखायें,की गिनती करनी है,ध्यान रहे कि कोई रेखा कटी नही होनी चाहिये,शनि पर्वत के नीचे वाली रेखाओं को ढाई से और बृहस्पति पर्वत के नीचे से निकलने वाली रेखाओं को डेढ से,गुणा करें,फ़िर मंगल पर्वत के नीचे से ऊपर की ओर जाने वाली रेखाओं को जोड लें,इनका योगफ़ल ही वर्तमान उम्र होगी।
अपने जन्म का महिना और राशि को पता करने का नियम --- 09926077010 
अपने दोनो हाथों की तर्जनी उंगलियों के तीसरे पोर और दूसरे पोर में लम्बवत रेखाओं को २३ से गुणा करने पर जो संख्या आये,उसमें १२ का भाग देने पर जो संख्या शेष बचती है,वही जातक का जन्म का महिना और उसकी राशि होती है,महिना और राशि का पता करने के लिये इस प्रकार का वैदिक नियम अपनाया जा सकता है:-
१-बैशाख-मेष राशि--- 09926077010
२.ज्येष्ठ-वृष राशि
३.आषाढ-मिथुन राशि
४.श्रावण-कर्क राशि
५.भाद्रपद-सिंह राशि
६.अश्विन-कन्या राशि
७.कार्तिक-तुला राशि
८.अगहन-वृश्चिक राशि
९.पौष-धनु राशि
१०.माघ-मकर राशि
११.फ़ाल्गुन-कुम्भ राशि
१२.चैत्र-मीन राशि

इस प्रकार से अगर भाग देने के बाद शेष १ बचता है तो बैसाख मास और मेष राशि मानी जाती है,और २ शेष बचने पर ज्येष्ठ मास और वृष राशि मानी जाती है।
हाथ में राशि का स्पष्ट निशान भी पाया जाता है--- 09926077010 
प्रकृति ने अपने द्वारा संसार के सभी प्राणियों की पहिचान के लिये अलग अलग नियम प्रतिपादित किये है,जिस प्रकार से जानवरों में अपनी अपनी प्रकृति के अनुसार उम्र की पहिचान की जाती है,उसी प्रकार मनुष्य के शरीर में दाहिने या बायें हाथ की अनामिका उंगली के नीचे के पोर में सूर्य पर्वत पर राशि का स्पष्ट निशान पाया जाता है। उस राशि के चिन्ह के अनुसार महिने का उपरोक्त तरीके से पता किया जा सकता है।
पक्ष और दिन का तथा रात के बारे में ज्ञान करना--- swami aannd shiv mehta - indore 
वैदिक रीति के अनुसार एक माह के दो पक्ष होते है,किसी भी हिन्दू माह के शुरुआत में कृष्ण पक्ष शुरु होता है,और बीच से शुक्ल पक्ष शुरु होता है,व्यक्ति के जन्म के पक्ष को जानने के लिये दोनों हाथों के अंगूठों के बीच के अंगूठे के विभाजित करने वाली रेखा को देखिये,दाहिने हाथ के अंगूठे के बीच की रेखा को देखने पर अगर वह दो रेखायें एक जौ का निशान बनाती है,तो जन्म शुक्ल पक्ष का जानना चाहिये,और जन्म दिन का माना जाता है,इसी प्रकार अगर दाहिने हाथ में केवल एक ही रेखा हो,और बायें हाथ में अगर जौ का निशान हो तो जन्म शुक्ल पक्ष का और रात का जन्म होता है,अगर दाहिने और बायें दोनो हाथों के अंगूठों में ही जौ का निशान हो तो जन्म कृष्ण पक्ष रात का मानना चाहिये,साधारणत: दाहिने हाथ में जौ का निशान शुक्ल पक्ष और बायें हाथ में जौ का निशान कृष्ण पक्ष का जन्म बताता है।
जन्म तारीख की गणना--शिव मेहता -- 09926077010 === इंदौर 
मध्यमा उंगली के दूसरे पोर में तथा तीसरे पोर में जितनी भी लम्बी रेखायें हों,उन सबको मिलाकर जोड लें,और उस जोड में ३२ और मिला लें,फ़िर ५ का गुणा कर लें,और गुणनफ़ल में १५ का भाग देने जो संख्या शेष बचे वही जन्म तारीख होती है। दूसरा नियम है कि अंगूठे के नीचे शुक्र क्षेत्र कहा जाता है,इस क्षेत्र में खडी रेखाओं को गुना जाता है,जो रेखायें आडी रेखाओं के द्वारा काटी गयीं हो,उनको नही गिनना चाहिये,इन्हे ६ से गुणा करने पर और १५ से भाग देने पर शेष मिली संख्या ही तिथि का ज्ञान करवाती है,यदि शून्य बचता है तो वह पूर्णमासी का भान करवाती है,१५ की संख्या के बाद की संख्या को कृष्ण पक्ष की तिथि मानी जाती है।
जन्म वार का पता करना--- shiv mehta - 09926077010
अनामिका के दूसरे तथा तीसरे पोर में जितनी लम्बी रेखायें हों,उनको ५१७ से जोडकर ५ से गुणा करने के बाद ७ का भाग दिया जाता है,और जो संख्या शेष बचती है वही वार की संख्या होती है। १ से रविवार २ से सोमवार तीन से मंगलवार और ४ से बुधवार इसी प्रकार शनिवार तक गिनते जाते है।
जन्म समय और लगन की गणना---शिव मेहता -- 09926077010 === इंदौर
सूर्य पर्वत पर तथा अनामिका के पहले पोर पर,गुरु पर्वत पर तथा मध्यमा के प्रथम पोर पर जितनी खडी रेखायें होती है,उन्हे गिनकर उस संख्या में ८११ जोडकर १२४ से गुणा करने के बाद ६० से भाग दिया जाता है,भागफ़ल जन्म समय घंटे और मिनट का होता है,योगफ़ल अगर २४ से अधिक का है,तो २४ से फ़िर भाग दिया जाता है।
इस तरह से कोई भी अपने जन्म समय को जान सकता है।शिव मेहता -- 09926077010 === इंदौर