रविवार, 17 जनवरी 2016

Career & Karakamsh Kundali ,कॅरियर और कारकांश कुंडली , कॅरियर कोण सा कैसे बनाये \

Career & Karakamsh Kundali कॅरियर और कारकांश कुंडली , कॅरियर कोण सा कैसे बनाये \


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\आज युवाओं के बीच सबसे अधिक चिंता का विषय आजीविका है.चिंता के इस विषय का समाधान ज्योतिष विधि से किया जाए तो मुश्किल काफी हद तक आसान हो सकती है.ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार हमारी कुण्डली में सब कुछ लिखा है बस उसे गहरी से जानने की आवश्यकता है.आइये जानें क्या 

कहती है कुण्डली कैरियर के बारे में.

आजीविका और कैरियर के विषय में दशम भाव को देखा जाता है (Tenth Bhava is for Career).दशम भाव अगर खाली है तब दशमेश जिस ग्रह के नवांश में होता है उस ग्रह के अनुसार आजीविका का विचार किया जाता है.द्वितीय एवं एकादश भाव में ग्रह अगर मजबूत स्थिति में हो तो वह भी आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार व्यक्ति की कुण्डली में दशमांश शुभ स्थान पर मजबूत स्थिति में होता है (Strongly placed tenth lord) तो यह आजीविका के क्षेत्र में उत्तम संभावनाओं का दर्शाता है.दशमांश अगर षष्टम, अष्टम द्वादश भाव में हो अथवा कमज़ोर हो तो यह रोजी रोजगार के संदर्भ में कठिनाई पैदा करता है.\
जैमिनी पद्धति के अनुसार व्यक्ति के कारकांश कुण्डली में लग्न स्थान में सूर्य या शुक्र होता है तो व्यक्ति राजकीय पक्ष से सम्बन्धित कारोबार करता है अथवा सरकारी विभाग में नौकरी करता है.कारकांश में चन्द्रमा लग्न स्थान में हो (Moon in Ascendant in Karakamsh Kundali) और शुक्र उसे देखता हो तो इस स्थिति में अध्यापन के कार्य में सफलता और कामयाबी मिलती है.कारकांश में चन्द्रमा लग्न में होता है और बुध उसे देखता है तो यह चिकित्सा के क्षेत्र में कैरियर की बेहतर संभावनाओं को दर्शाता है.कारकांश में मंगल के लग्न स्थान पर होने से व्यक्ति अस्त्र, शस्त्र, रसायन एवं रक्षा विभाग से जुड़कर सफलता की ऊँचाईयों को छूता है.
कारकांश लग्न में जिस व्यक्ति के बुध होता (Mercury in Ascendant of Karakamsh Kundali) है वह कला अथवा व्यापार को अपनी आजीविका का माध्यम बनता है तो आसानी से सफलता की ओर बढ़ता है.कारकांश में लग्न स्थान पर अगर शनि या केतु है तो इसे सफल व्यापारी होने का संकेत समझना चाहिए.सूर्य और राहु के लग्न में होने पर व्यक्ति रसायनशास्त्री अथवा चिकित्सक हो सकता है.

ज्योतिष विधान के अनुसार कारकांश से तीसरे, छठे भाव में अगर पाप ग्रह स्थित हैं या उनकी दृष्टि है तो इस स्थिति में कृषि और कृषि सम्बन्धी कारोबार में आजीविका का संकेत मानना चाहिए.कारकांश कुण्डली में चौथे स्थान पर केतु (Ketu in fourth house of Karakamsh Kundali) व्यक्ति मशीनरी का काम में सफल होता है.राहु इस स्थान पर होने से लोहे से कारोबार में कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली में चन्द्रमा अगर लग्न स्थान से पंचम स्थान पर होता है और गुरू एवं शुक्र से दृष्ट या युत होता है तो यह लेखन एवं कला के क्षेत्र में उत्तमता दिलाता है.
कारकांश में लग्न से पंचम स्थान पर मंगल (Mars in fifth house of Karakamsh Kundali) होने से व्यक्ति को कोर्ट कचहरी से समबन्धित मामलों कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली के सप्तम भाव में स्थित होने से व्यक्ति शिल्पकला में महारत हासिल करता है और इसे अपनी आजीविका बनाता है तो कामयाब भी होता है.करकांश में लग्न से पंचम स्थान पर केतु व्यक्ति को गणित का ज्ञाता बनाता है.
docter banne ke yog 
”जैमिनी सूत्रम्“ के श्लोक नं. 87 के अनुसार यदि कारकांश लग्न में शुक्र या चंद्र हो और वहां स्थित चंद्र को बुध देखता हो तो जातक डाॅक्टर होता है। Û आचार्य मुकंद देवज्ञ के अनुसार यदि आत्मकारक ग्रह मंगल हो या मेष या वृश्चिक नवांश में हो तो जातक डाॅक्टर होता है। Û यदि आत्मकारक ग्रह मंगल का संबंध चंद्र या सूर्य से हो तो जातक सरकारी अस्पताल में डाॅक्टर होता है। विवेचन एवं विश्लेषण: इसमें हमने 36 कुंडलियों का अध्ययन किया। इस सर्वेक्षण में हमने पाया कि अधिकतर जातक की कुंडलियों में आत्मकारक ग्रह बुध है और बुध का दृष्टि-युति प्रभाव कुल मिलाकर 52 प्रतिशत सबसे अधिक पाया गया। बुध का जो कि बुद्धि, स्मरण शक्ति, तर्क का प्रतीक है जातक को चिकित्सक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। बुध के बाद सूर्य का आत्मकारक ग्रह के रूप में महत्वपूर्ण योगदान रहा, सूर्य जो कि औषधि और स्वास्थ्य का कारक है। चिकित्सक बनने के लिए इसका बली होना जरूरी है। इसके बाद मंगल का जो कि शक्ति, ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है। प्रभाव सबसे अधिक पाया गया। अगर आत्मकारक ग्रह मंगल हो या मंगल के नवांश में हो या नवांश कुंडली में मंगल से दृष्ट हो या युक्त हो तो डाॅक्टर होता है। मंगल क्योंकि रक्त का कारक है। तेज धार वाले औजारों का कारक है। चिकित्सा क्षेत्र में इनका योगदान होता है। इसलिए बली मंगल का जातक को चिकित्सक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। राहु और केतु को यद्यपि आत्मकारक नहीं माना फिर भी इसका युति व दृष्टि प्रभाव सबसे अधिक रहा। राहु केतु का सम्मिलित प्रभाव 61 प्रतिशत आश्चर्यजनक है। राहु एंटीबायटिक औषधियों का प्रतीक है। जीवाणुनाशक औषधियों द्वारा रोग का उपचार करने में राहु व केतु का बली होना आवश्यक है। ग्रह युति प्रभाव: हमारे सर्वेक्षण में डाॅक्टरों की कुंडलियों में बुध केतु और मंगल का युति प्रभाव सबसे अधिक देखा गया। दृष्टि प्रभाव: आत्मकारक ग्रह पर सबसे अधिक राहु का दृष्टि प्रभाव था, राहु का 25 प्रतिशत दृष्टि प्रभाव 

ज्योतिष :कुंडली से जाने:नौकरी के योग :किसे नौकरी मिलगी :नौकरी मे बाधाओं और उपाय :Astrology :Job yog: Who will get Jobs: obstacles and upay :

ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं। कुंडली से जाने:नौकरी के योग :   किसे  नौकरी मिलगी :नौकरी मे बाधाओं और  उपाय :
रोजगार: 10 वीं हाउस, 2 हाउस और सूर्य
दशम भाव:कारक ---
पेशे, प्रसिद्धि, बिजली, स्थिति, अधिकार, सम्मान, सफलता, स्थिति, घुटनों, चरित्र, कर्म, जीवन, पिता, वरिष्ठ अधिकारियों, व्यापार में स्वयं और वरिष्ठ अधिकारियों, सफलता के बीच संबंध, पदोन्नति, सरकार से मान्यता राज्य, व्यापार, नौकरी, प्रशासनिक स्तर, मान-सम्मान, सफलता, सार्वजनिक जीवन, घुटने, संसद, विदेश व्यापार, आयात-निर्यात, विद्रोह
 दूसरा हाउस:कारक ---shiv mehta 09926077010 
धन, परिवार, भाषण, दाहिनी आंख, नाखून, जीभ, नाक, दांत, महत्वाकांक्षा, भोजन, कल्पना, धोखाधड़ी आभूषण,  कुटुंब, वाणी विचार, धन की बचत, सौभाग्य, लाभ-हानि, आभूषण, दृष्टि, दाहिनी आँख, स्मरण शक्ति, नाक, ठुड्डी, दाँत,  कला, सुख, गला, कान,
सूर्य :आत्मा, स्वास्थ्य, पिता, शक्ति, रॉयल्टी, सत्ता, शोहरत, नाम, साहस, विरासत, चिकित्सा,  प्रतिष्ठा, ताकत, , ज्ञान इच्छाशक्ति, ऊर्जा,सौभाग्य ,

 कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम: प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।
डी 9 ,डी १० चार्ट मे भी दिखना है। 
लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में 
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में 
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या anter dsha me 
दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में  
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।swami aannd shiv mehta = 09926077010 
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।

छठा भाव :छठा भाव नौकरी का एवं सेवा का है।
छठे भाव का कारक भाव शनि है।
 दशम भाव या दशमेश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी  करता है। 

राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :
जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है।  
 गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
गोचर  : नौकरी मिलने के समय शनि या गुरु का या दोनों का दशम भाव और दशमेश दोनों से या किसी एक से संबंध होता है।सरकारी नौकरी:यह जान लें कि दशम भाव बली हो तो नौकरी  .
 नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति 
सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर  सरकारी
 नौकरी करता है।
 केंद्र में गुरु स्थित होने पर 
सरकारी नौकरी मे  उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी karta he \ 
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी करता है.
मंगल 
कुण्डली में बली हो तो पुलिस, खुफिया विभाग अथवा सेना में उच्च पद होने की संभावना होती है।
गुरु 
कुण्डली में बली हो तो  जातक को अच्छा वकील, जज, धार्मिक प्रवक्ता , ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद बनाता है।
बुध 
कुण्डली में बली हो तो  व्यापारी, लेखक, एकाउन्टेंट, लेखन एवं प्रकाशन, में  ।
शुक्र 
कुण्डली में बली हो तो  फिल्मी कलाकार,  गायक, सौंदर्य संबंधी ।
राहु से आयात व्यापार एवं केतु से निर्यात व्यापार ।  

 कामयाबी योग :
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कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।  
फलादेश कैसे करते  है ----
 - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते
shiv mehta 00026077010 
सूर्य और कॅरियर:  दसवां भाव सूर्य काघर माना गया है। दसवें घर से  प्रोफेशन, कॅरियर, कार्यस्थल, कार्य सफलता, प्रगति देखी जाती है। दसवें भाव में कोई अनिष्टकारी घर बैठा हो, सूर्य नीच एवं किसी ग्रह से पीड़ित हो,  सूर्य को ग्रहण लगा हो तो व्यक्ति के कॅरियर में समस्याएं आती हैं।  
नौकरी मिलने में बाधा आ रही हो और पदोन्नति में समस्याएं आ रही हो ,उन्हें सूर्य साधना से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है।
 सूर्य के उपाय 09926077010
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
 ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
 गायत्री का जप कर ले
 घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे
पिता की सेवा
शराब और मांसाहार न खिलाये
शिवजी ,पीपल के उपाय।

 कॅरियर में सफलता के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करें।
लाल वस्त्र, लाल चन्दन, तांबे का बर्तन, केसर, गुड़, गेहूं का दान रविवार को करना शुभ फल प्रदान करता है।
 रविवार काव्रत रखें, इस दिन नमक का प्रयोग न करें।
  घर से बहार निकलने से पहले थोड़ा सा गुड़ खाएं।
 माता पिता के पांव छुकर आशीर्वाद लें।

 नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिष को  दिखाइए ।09926077010 shiv mehta 

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