शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

मृत्यु के बाद भी पुण्य कमाने के 7 (सात) आसान उपाय ।


मृत्यु के बाद भी पुण्य कमाने के 7 (सात) आसान उपाय । 09926077010 



.🔜 (1)= किसी को धार्मिक ग्रन्थ भैंट करे जब भी कोई उसका पाठ करेगा आप को पुण्य मिलेगा ।
🔜(2)= एक व्हीलचेयर किसी अस्पताल मे दान करे जब भी कोई मरीज उसका उपयोग करेगा पुण्य आपको मिलेगा।
श🔜(3)= किसी अन्नक्षेत्र के लिये मासिक ब्याज वाली एफ. डी बनवादे जब भी उसकी ब्याज से कोई भोजन करेगा आपको पुण्य मिलेगा---------- shiv mehta  -- indore -- teji mndi 
🔜 (4)=किसी पब्लिक प्लेस पर वाटर कूलर लगवाएँ हमेशा पुण्य मिलेगा।
🔜(5)= किसी अनाथ को शिक्षित करो वह और उसकी पीढ़ियाँ भी आपको दुआ देगी तो आपको पुण्य मिलेगा।
याद रहे औलाद तो अपना हक समझती है जरा भी कमी रह जाय तो मरणोपराँत भी गाली देती है कि हमारे लिये किया ही क्या।
🔜(6)= अपनी औलाद को परोपकारी बना सके तो सदैव पुण्य मिलता रहेगा।
🔜( 7)= सबसे आसान है कि आप ये बाते औरों को बताये किसी एक ने भी अमल किया तो आपको पुण्य मिलेगा..

रविवार, 17 अप्रैल 2016

Difference Between Altitude and Latitude

Difference Between Altitude and Latitude



Altitude and latitude are commonly used terms in the field of astronomy and geography. Both are parameters relating to the angular position of a location.

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The angular distance on a plane perpendicular to the plane of the equator is known as the latitude. This is used as one of the two coordinates for a location on earth. In the physical sense, it gives the north-south position of the location considered. The line at which the latitude is constant runs parallel to the equator around the globe.

Taken together with longitude, latitude can be used to specifically locate a position on earth. The equator is considered as the zero latitude (i.e. 0° ). The North Pole has the latitude +90° and the South Pole has -90°. There are specially defined latitudes, such as Arctic circle and Tropic of Cancer in the northern hemisphere and Antarctic circle and Tropic of Capricorn in the southern hemisphere.

Apart from the common usage shown above, latitude is further divide by the properties and relative definitions.

Geodetic Latitude is the angle between the plane of the equator and the normal to the surface at a point. Since earth is not perfectly spherical, the normal does not always pass through the center of the earth.

Geocentric latitude is the angle between the equator and the radius of a point on the surface.

Astronomical Latitude is defined as the angle between the equatorial plane and the true vertical at a point on the surface: the true vertical is the direction of a plumb line; it is the direction of the gravity field at that point.

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Altitude can be defined in a broader sense as the vertical distance between a datum line and a point considered above that line. The datum line can be selected in many ways. Therefore, many altitude terms are in use. The basic forms of altitudes in common use are the indicated altitude and the absolute altitude. These are mostly used in aviation because the altitude refers to the height of a point in the atmosphere. If the point considered is on the ground, it is known as elevation.

Altitude is also one of the key coordinates of the horizontal coordinate system used in astronomy. It is a coordinate system that uses observer’s horizon as the fundamental plane. The angular distance to a point on the celestial sphere from the horizon is defined as the altitude of that point. But in this case, the system altitude is used for angular measurement, not for linear measurement.

What is the difference between Altitude and Latitude? 09926077010

• The latitude is a measure from the equator, giving how high a point is located on the globe above the equator.

• The term altitude can be used in several cases;

• The height to a point from a datum line. (Geography and aviation)

• The angular position above the horizon of an observer. (Astronomy)

• The latitude is an angular measurement, hence given is degrees; together with longitude it is used to give exact coordinates of the position of a location.

• The altitude (in aviation) is the height to a point in the atmosphere, therefore, measured in units of length, such as meters.

• The altitude used in astronomy is also an angular measurement from the horizon, therefore, measured in degrees.

गुरुवार, 10 मार्च 2016

तुलसी स्तोत्र , Tulasi Stotram , teji mndee ,

|| तुलसी स्तोत्रम् ||

||Tulasi Stotram||

जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे ।
यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥१॥

Jagad-dhaatrii namas-tubhyam Vissnnosh-cha priya-vallabhe |
Yato brahmaa-dayo devaah srisstti-sthityant-kaariinnah ||1||


नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे ।
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥२॥
Namas-tulasii kalyaannii namo vissnnu-priye shubhe |
Namo mokssa-prade devi namah sampat-pradaayike ||2||


तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।
कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥३॥
Tulasii paatu maam nityam sarva-apadbhyo-api sarvadaa |
Kiirtita-api smritaa vaa-pi pavitr-yati maanavam ||3||

नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् ।
यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥४॥
Namaami shirasaa deviim tulasiim vilasat-tanum |
Yaam drissttvaa paapino martyaa muchyante sarva-kiilbii-shaat ||4||

तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ।
या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥५॥
Tulasyaa rakssitam sarvam jagadet-ach-charaa-charam |
Yaa vinii-hanti paapaani drissttvaa vaa paapiibhiir-naraih ||5||

नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ ।
कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥६॥
Namas-tulasyati-taraam yasyai bad-dhva-anjaliim kalau |
Kalayanti sukham sarvam striyo vaishyaas-tathaa-a-pare ||6||

तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले ।
यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥७॥
Tulasyaa naa-param kiinchiid daivatam jagatii-tale |
Yathaa paviitrii-to loko vissnnu-sang-gen vaissnnavah ||7||

तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।
आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥८॥
Tulasyaah pallavam vissnnoh shiirasya-aropiitam kalau |
Aarop-yati sarvaanni shreyaamsii var-mastake ||8||

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।
अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥९॥
Tulasyaam sakalaa devaa vasantii satatam yatah |
Atas-taam-arch-yel-loke sarvaan devaan samarchayan ||9||

नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।
पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥१०॥
Namas-tulasii sarvagye purussottam-vallabhe |
Paahi maam sarva-paapebhyah sarva-sampat-pradaayike ||10||

इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।
विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥११॥
Iti stotram puraa giitam punnddarii-kenn dhiimataa |
Vissnnum-archayataa nityam shobhanais-tulasii-dalaih ||11||

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥12॥
Tulasii shriir-mahaalakssmiir-vidya-avidyaa yashasvinii |
Dharmyaa dharma-ananaa devii devii-dev-manah-priyaa ||12||

लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।
षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥१३॥
Lakssmii-priya-sakhii devii dyaur-bhuumir-achalaa chalaa |
Shodd-shaitaani naamaani tulasyaah kiirtayan-narah ||13||

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥१४॥
Labhate sutaraam bhaktii-mante vissnnu-padam labhet |
Tulasii bhuur-mahaalakssmiih padminii shriir-harii-priyaa ||14||

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥१५॥
Tulasii shrii-sakhii shubhe paap-haarinnii punnya-de |
Namaste naarad-nute naaraayan-manah-priye ||15||
09926077010 --- shiv mehta    - teji mndi 

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

नौकरी लगने केपाय , नौकरी साक्षात्कार पर जाने से पहले, before moving to Job Interview.,इंटरव्यू में पास होने के तरीके

====नौकरी लगने केपाय ==  नौकरी साक्षात्कार पर जाने से पहले।===इंटरव्यू में पास होने के तरीके ===== before moving to Job Interview....पास होने के लिए यह उपाय (अचूक)   ===

== शिव मेहता , जानेमाने ज्योतिष आचार्य विचारक  के अनुसार, हर व्यक्ति की अपने जीवन में कामना होती है की उसे अच्छी नौकरी मिले या उसका रोज़गार उसका कारोबार श्रेष्ठ हो । कभी-कभी पर्याप्त योग्यता होने, सब कुछ ठीक होने , लिखित परीक्षा, इंटरव्यू अच्छा होने के बाद भी कुछ ऐसी अड़चने आ जाती हैं, जिससे नौकरी मिलते-मिलते रह जाती है। या अच्छी नौकरी नहीं मिलती है । ये सब कुण्डली के ग्रहों के कारण होता है, जिससे आपके बनते काम बनते बनते बिगड़ जाते है, आपकी नौकरी, रोज़गार में कोई ना कोई दिक्कते आ जाती है। लेकिन कुछ उपायों को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ चुपचाप करके हम अपनी नौकरी की राह में आने वाली सभी अड़चनों को निश्चय ही दूर कर सकते है।09926077010
=== उपाय ही महत्व के हे == हर व्यक्ति एक सुपर पावर चाहता हे == आप पीछे क्यों हे जी \\
👉 मनोवैज्ञानिक उपाय (अचूक)===
साक्षात्कार वाले दिन, जाने के पूर्व 21 गहरी साँस को को लेकर छोड़े एवं प्रतियेक अन्तराल पर 21 बार मन में दोहराये कि " मैं स्थिर विचारो वाला आत्मबली इन्सान हूँ। मुझे इस नौकरी की आवश्यकता नहीं है।"
सीढ़ी चदकर जाते समय आपके जन्मांक नंबर की stair पर रुक कर 9 गहरी साँस ले एवं पिछली नौकरी या पढाई के दौरान आपकी उपलब्धियों का ध्यान कर लें। 
पार्किंग स्थल पर आपके जन्मांक नंबर की नंबरप्लेट लगे वाहन को देखकर 9 गहरी साँस ले एवं पिछली नौकरी या पढाई के दौरान आपकी उपलब्धियों का ध्यान कर लें। 09926077010  
साक्षात्कार स्थल पहुँच कर, उस आफिस के किसी कर्मचारी से निवेदन कर जल मांग कर घूंट घूंट कर पीले।
साक्षात्कार के दौरान अपने दाये पैर को बाएँ की अपेक्षा कुछ इंच आगे जरुर रखें। 09926077010  
पूरी बातचीत के दौरान 2 या 3 बार दोनों हथेलियों को इसप्रकार body language दे जिससे सामने वाला आपकी दोनों खुली हथेलियों को स्पष्ट तौर पर देख सके।
👉 वैदिक उपाय एवं टोटके===== 09926077010  
अपनी अच्छी नौकरी के लिए प्रत्येक सोमवार को शिव जी के मंदिर जाकर शिवलिंग पर मीठा कच्चा दूध चढ़ाते हुए अखंडित अक्षत ( साबुत चावल , जो टूटे हुए ना हो ) अर्पित करके भगवान भोले नाथ से अपने मन की बात करें । इससे नौकरी में आने वाली समस्त अड़चने दूर हो जाती है ।
माह की किसी भी गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो उस पर 7 या 11 दूर्वा अर्पित करें । फिर भगवान के आगे लौंग तथा सुपारी रखकर पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करें। तत्पश्चात जब भी किसी नौकरी के लिए या महत्वपूर्ण काम पर जाना हो तो इस लौंग को तथा सुपारी को साथ लेकर जाएं। आपको अपने कार्यों में सफलता मिलेगी । 09926077010  
जिन व्यक्तियों को बेहतर व्यापार, नौकरी की चाह है वह अपने घर में बजरंग बली का फोटो जिसमें उनका उड़ता हुआ चित्र हो लगाकर उसकी पूजा करें। 09926077010  
यदि आप लाख प्रयत्न करने के बाद भी बेरोजगार हैं या आपको अपने कार्यों में ज़रा सी भी सफलता नहीं मिल रही है तो आप बिना दाग वाला पीला नींबू लेकर उसके चार बराबर के टुकड़े कर लें। फिर संध्या के समय किसी सुनसान चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में उन्हे फेंक दें और बिना पीछे मुड़े देखे घर वापस आ जायें। या उपाय शुक्ल पक्ष के किसी भी दिन से शुरू करते हुए सात दिन लगातार करें। इससे शीघ्र ही कार्य बनने लगेंगे, नौकरी, कारोबार में सफलता मिलेगी। यह प्रयोग अमावस्या विशेषकर शनि अमावस्या के दिन विशेष रूप से प्रभावी होता है ।
जब भी आप किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाये , तो एक नींबू के ऊपर चारो दिशाओं में चार लौंग गाड़ कर ( अगर लौंग ना गढ़ पाये तो नींबू में आलपिन से छेद करके लौंग गाड़ दें ) ‘ॐ श्री हनुमते नम:’ मंत्र का 108 बार जप करके उस नींबू को भी अपने साथ लेकर जाएं। आपको नौकरी मिलने की सम्भावना प्रबल होगी ।
जब भी आप किसी इंटरव्यू देने जाये तो गुड चना या आटे के पेड़े में गुड रखकर जाये और रास्ते में कोई भी गाय नजर आए तो उसे अपने हाथ से यह खिला दें , आपको शुभ समाचार मिलेंगे । 09926077010  
जब भी आप किसी इंटरव्यू देने जाये तो गुड चना या आटे के पेड़े में गुड रखकर जाये और रास्ते में कोई भी गाय नजर आए तो उसे अपने हाथ से यह खिला दें , आपको शुभ समाचार मिलेंगे । 09926077010  
यदि आपका कोई जरुरी काम होते होते रह जाता है तो आप शुक्ल पक्ष में हल्दी की 7 साबुत गांठें, 7 गुड़ की डलियां, एक रुपये का सिक्का किसी पीले कपड़े में बांध कर रेलवे लाइन के पार फेंक दें। फेंकते समय कहें काम दे, इससे काम के आपके पक्ष में होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। 09926077010  
किसी भी मंगलवार से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक नित्य प्रात: नंगे पैर हनुमानजी के मंदिर में जाकर उन्हें लाल गुलाब के फूल चढ़ाएं। ऐसा करने से शीघ्र ही रोजगार मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है।
इंटरव्यू देने जाने से पहले सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करें फिर भगवान के सामने 11 अगरबत्ती जलाकर अपनी मनोकामना कहें। इंटरव्यू देने के लिए निकलते समय एक चम्मच दही और चीनी खाकर सबसे पहले दायां पैर घर से बाहर निकालें ।
मान्यता है कि यदि सुबह-सुबह पंक्षियों को दाना खिलाया जाय तो नौकरी , रोज़गार सम्बन्धी कामनाएं पूर्ण होती है । यदि रोज सुबह आप पंक्षियों को सात प्रकार के अनाजों को मिलाकर दाना खिलाते हैं तो निश्चय ही आपकी मनचाही नौकरी के योग प्रबल होंगे । 09926077010  
प्रत्येक शनिवार को शनि देव की पूजा करते हुए “ॐ शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का 108 बार जप करें, इससे कुण्डली में किसी भी ग्रह द्वारा सभी तरह की बाधाएं शान्त होती है। नौकरी , रोज़गार मिलने के अवसर बढ़ जाते है ।
जीवन में सुख की चाह रखने वाले प्रत्येक मनुष्य को श्रीकृष्ण का मूलमंत्र ‘कृं कृष्णाय नमः’ का जाप नित्य प्रातः काल स्नानादि के पश्चात एक सौ आठ बार करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन से सभी बाधाएं एवं कष्ट दूर रहते हैं। 09926077010  
पीतल के लोटे में गंगा जल भरकर उसमें ‘चांदी’ व ‘सोने’ की वस्तु डालकर उसे अपने घर के ईशान कोण पर सिर से ऊपर के किसी साफ स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर रखकर ‘ऊँ गंगाधराय नम:’ मंत्र का 11 बार जाप करें। इससे नज़र ऊपरी बाधायें दूर होती है, नौकरी के अवसर बढ़ते है, व्यापार में श्रेष्ठ लाभ होता है और घर में सुख समृद्धि का भी आगमन होता है।
== और भी अनेको सामान्य उपाय हे -- यह उपायों का संकलन हे जो चाहे अपनाये == किन्तु इससे १०० टका हो ही जायेगा बगैर योग्यता के यह निराधार ही समझना == राम राम जी 09926077010 

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

numerology , ,1, 2, 3, 4, 5, न्यूमरोलॉजी के अनुसार हर अंक की कुछ खासियत

 मूलांक  -1,2,3,4,5,6,7,8,

1 ank 

न्यूमरोलॉजी के अनुसार हर अंक की कुछ खासियत होती है और कुछ कमियां, इसी तरह हर मूलांक के लिए कुछ सावधानियां बताई गयी है, आज बात करते मूलांक (birthday 1, 10, 19, 28 ) वाले लोगों को किस किस चीज़ या कामों से बचना चाहिए जिससे इन्हे परेशानी न आये. आइये जानते है.  -09926077010 

मूलांक 1 वाले लोगों को झूठा दिखावा या गैर जरूरी खर्चा करने से बचना चाहिए। साथ ही दोस्तों और रिश्तेदारो के ऊपर लापरवाह होक नही लुटाना चाहिए. ऐसा करने से इनका बजट बिगड़ जाता है. 
ऐसे लोगों को अनुमान लगाने वाले काम जिसे जुआ, सट्टा ठीक नही रहते ज्यादा होने पर गरीबी का मुह दिखा देते है. बहुत ज्यादा स्वतंत्र न होए अपने आप को बांधे रखे. 
ऐसे लोग बहुत ज्यादा रिस्क ले जाते है जिससे इन्हे बचना चाहिए. एक परेशानी और है के ये लोग किसी किसी वयक्ति पर अपने से ज्यादा भरोसा कर लेते है जो की गलत है.

इसके अलावा sensuality और  गैर जरूरी रिश्तों से बचे नही तो  बदनामी आ सकती है.\

मूलांक 2 (birth date 2,11,20,29) चन्द्र से प्रभावित रहता है. मन का कारक होने की वजह से ऐसे कभी कभी छोटी छोटी बातों से ही अपना confidence खो बैठते है. आइये जानते है मूलांक 2 वाले लोगो को लाइफ में किन किन बातों और कामों से बचना चाहिए.  -

मूलांक 2 वाले लोगों को अपना साहस नही खोना चाहिए। ऐसा देखा जाता है के कोई भी इन्हे discourage कर देता है और ये हो जाते है. ऐसा देखा जाता है के ये आसानी से किसी की भी तरफ आकर्षित हो जाते है जो की नुकसान देता है.
अगर आपने कोई काम किया है या फैसला लिया है तो उसी पे टिकना चाहिए, किसी भी काम को ठंडे दिमाग से और बिना जल्दबाज़ी के करना ज्यादा अच्छा रहता है.साथ ही ऐसे लोगों को अपना काम दूसरों की कारण नही छोड़ना चाहिए साथ ही अपना ज्यादा समय दूसरों की हेल्प में नही बिताना चाहिए अगर की फायदा नही है तो. इन्हे झूठी तारीफ करने वाले दोस्तों से बचना चाहिए. 
पूर्णिमा के दिन इन्हे जरूरी फैसले लेने से बचना चाहिए. ऐसे दिन इनका दिमाग खराब भी रह सकता है
मूलांक 3 (birth date 3,12,21,30) बृहस्पति से प्रभावित होता है ऐसे लोगों को फालतू बहस में नही पड़ना चाहिए और साथ ही अपने ऊपर या अपनी विद्या पे घमंड इनका सबसे बड़ा दुश्मन होता है. आइये जानते है और किन किन चीज़ो से बचना चाहिए मूलांक 3 वाले लोगो को. 
मूलांक 3 वाले बंधुओ को खर्चा करते समय ध्यान देना चाहिए. ऐसा देखा जाता है के पैसा इनके पास आराम  से आ जाता है लेकिन गैर जरूरी खर्चे करने से पैसा चला भी जाता है.  बहुत ज्यादा खाने व् तीखा खाने की आदत से बचना चाहिए. इन्हे गुस्से पर काबू रखना आ जाये तो बहुत अच्छा फल मिलता है और साथ ही इन्हे अपने जीवनसाथी की इज़्ज़त करनी चाहिए.  इन लोगों को चाहे जितना भी मान सम्मान मिले लेकिन उसके ऊपर घमंड नही करना चाहिए. बहुत ज्यादा काम करने के कारण इन्हे स्ट्रेस भी हो सकता है. discipline की कमी इनमे देखि जाती है.  इन्हे भविष्य के लिए इन्वेस्टमेंट जरूर करनी चाहिए जितनी जल्दी ये शुरू करे उतना आगे चलके  फायदा हगा. इन  लोगों नीच लोगों से दुरी बनानी चाहिए नही तो खुद भी नीच बन जाएंगे और साथ ही दिमागी शांति से जाएंगे
मूलांक 4 राहु (birthday 4,13,22,31 ) से प्रभावित अंक माना जाता है. ऐसे लोगों को दूसरे लोगों पर भरोसा करना सीखना चाहिए और साथ ही जिंदगी के लिए less critical approach develop करनी चाहिए. आइये जानते है और क्या करना चाहिए और किन कामों से बचना चाहिए मूलांक 4 वाले लोगों को.
मूलांक 4 वाले लोगो को अकेला और अलग थलग रहने की आदत से बचना चाहिए. ये लोग अगर हार जाये तो निराशावादी हो जाते है जो की एक गलत सोच को जन्म देती है, पॉजिटिव बने रहना ही मूलांक 4 वालों को लाइफ की प्रोब्लेम्स से बचा सकता है. 
ऐसे वयक्तियो को सख्त मिज़ाज़ या अधिक sensitive होना नुकसान दे सकता है.  आगे बढ़ने के लिए परेशानी इनकी लाइफ में पॉसिबल है इसके लिए तैयार रहना चाहिए. लाइफ में आने वाली opportunities को इन्हे पहचानना सीखना चाहिए क्यूंकि इनकी लाइफ में ये अचानक और थोड़े टाइम के लिए ही आती है.
ग है जिसका अंत loss से होता है सोच समझ व् किसी की सलाह से चले तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
ऐसे लोगों को गुस्सा करना फायदा नही देगा, जितना creative ये लोग कमाने में हटे है उतना ही creative इन्हे खर्चने में होना चाहिए. पैसा जोड़ना बहुत फायदा देता है.जल्दी से फ्रेंड बनाने और जल्दी से उनसे नाता तोड़ने की आदत से बचें, मूलांक 4 के लोगों को अन्य वयक्तियों से दोस्ती उनकी बौद्धिक क्षमता और moral के ऊपर करनी ज्यादा फायदा देती है.
ये लो
 होना नुकसाभी नही करना चाहिए ऐसे लोग अगर अपनी जबान के पक्के हो जाये तो इन्हे तरक्की करने से कोई नही रोक सकता.न देगा सभी लोगों से आपकी बननी मुश्किल है, अपने spouse की सेहत का ख्याल रखे. जूठा वादा कअचानक फैसला करते है जो की मनमाना होता है और execution के समय ये दुविधा में पड़ जाते 

मूलांक 5 (birth date 5,14,23) बुध प्रभावित अंक वाले लोग बहुत जल्दी restless और बोर फील करने लगते है, साथ ही इन्हे ऐसी जगह में नही रहना चाहिए जहाँ दुःख और डिप्रेशन का माहौल हो. आइये जानते है और कहाँ और किन कामों से बचना चाहिए मूलांक 4 वाले लोगों को.
मूलांक 6 (birth date 6, 15, 24,) वाले लोगो शुक्र से प्रभावित होते है. ऐसे लोगों को आलसी होने से बचना चाहिए  साथ ही किसी पर भी भरोसा कर लेना इन्हे नुकसान देता है. आइये जानते है और क्या क्या avoid करना चाहिए 6 नंबर वालों कों 

मूलांक 7 (birth date 7,16,25) वाले लोग केतु से ज्यादा प्रभावित रहते है. ऐसे लोगों को किसी काम के सकारात्मक और नेगेटिव पहलु और उसमे लगने वाले समय का पहले से ज्ञान पहले से ले लेना चाहिए। बात करते है मूलांक 7 वाले लोगों को क्या क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए -
मूलांक 8 (birth date 8,17,26) वाले लोग शनि से प्रभावित होते है. ऐसे लोगों को आगे बढ़ने का प्रयास करते रहना चाहिए और साथ ही अपने दोस्तों और subordinates पर विश्वास करना चाहिए. आएं जानते है और मूलांक 8 वाले लोगों को क्या नही करना चाहिए



















panchak , पंचक क्या होता है , धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वाभाद्रपद व रेवती नक्षत्र

जानें सप्ताह के दिनों में शुरू होने  वाले  पंचक क्या प्रभाव   होता है

भारतीय ज्योतिष में पंचक को अशुभ माना गया है। इसके अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती    नक्षत्र आते हैं। पंचक के दौरान कुछ विशेष काम करने की मनाही है।का

रोग पंचक रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।

राज पंचक सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है।

अग्नि पंचक मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।
मृत्यु पंचक शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।

चोर पंचक शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए। मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है।

इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में शुरू होने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।


 1. पंचक में चारपाई बनवाना भी अच्छा नहीं माना जाता। ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
2. पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि जलने वाली वस्तुएं इकट्ठी नहीं करना चाहिए, इससे आग लगने का भय रहता है।
 3. पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है। 
4. पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का कहना है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है। 
5. पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखना चाहिए और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।

पंचक में आने वाले नक्षत्रों में शुभ कार्य हो सकते हैं। पंचक में आने वाला उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं। पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध। इन शुभ योगों से सफलता व धन लाभ का विचार किया जाता है।

1. घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र चल संज्ञक माने जाते हैं। इनमें चलित काम करना शुभ माना गया है जैसे- यात्रा करना, वाहन खरीदना, मशीनरी संबंधित काम शुरू करना शुभ माना गया है। 2. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र स्थिर संज्ञक नक्षत्र माना गया है। इसमें स्थिरता वाले काम करने चाहिए जैसे- बीज बोना, गृह प्रवेश, शांति पूजन और जमीन से जुड़े स्थिर कार्य करने में सफलता मिलती है।
 3. रेवती नक्षत्र मैत्री संज्ञक होने से इस नक्षत्र में कपड़े, व्यापार से संबंधित सौदे करना, किसी विवाद का निपटारा करना, गहने खरीदना आदि काम शुभ माने गए हैं।
1. धनिष्ठा नक्षत्र में आग लगने का भय रहता है।09926077010 

 2. शतभिषा नक्षत्र में वाद-विवाद होने के योग बनते हैं। 
3. पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र है यानी इस नक्षत्र में बीमारी होने की संभावना सबसे अधिक होती है। 
4. उत्तरा भाद्रपद में धन हानि के योग बनते हैं।
 5. रेवती नक्षत्र में नुकसान व मानसिक तनाव होने की संभावना

रविवार, 17 जनवरी 2016

navgrah mantra , नवग्रह मंत्र , गृह शांती , दान , शांती पेड़ों की मूल से ,घरेलु टोटके , grah shantee , jado se shantee ,

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swami aannd shiv mehta , शिव मेहता , आनंद शिव मेहता 
grah shantee == vraksh mul se bhi 
ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
सूर्य==09926077010=
यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच का होकर तुला राशि में है और केंद्र में या लग्नस्थ है तो कृत्तिका नक्षत्र वाले दिन बेल का एक जड़ प्रात:काल तोडक़र,शिवालय में शिवजी को समर्पित करें और
ऊँ भास्कराय ह्रीं
मंत्र का जाप करने के पश्चात गुलाबी धागे से धारण करें. प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करते रहें. रोग,संतानहीनता जैसी अन्य कई समस्याओं का समाधान होगा.
चंद्र==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
यदि आप की कुंडली में चंद्र नीच का होकर वृश्चिक राशि में है,या राहु,केतु और शनि द्वारा प्रभावित है तो, रोहिणी नक्षत्र वाले दिन खिरनी की जड़, शुद्ध करके शिवजी को समर्पित करें और
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स:चंद्रमसे नम:
मंत्र का जाप कर के सफेद धागे में धारण करें. फेफड़े सम्बंधित रोग,एकाकीपन और भावनात्मक समस्याओं का समाधान होगा.
मंगल==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
आपकी कुंडली में मंगल नीच का होकर कर्क राशि में हो या आप मांगलिक हों तो मृगशिरा नक्षत्र वाले दिन अनंतमूल की जड़ शुद्धिकरण के पश्चात हनुमान जी की पूजा कर के\
ऊँ अं अंगारकाय नम:
मंत्र का जाप कर के नारंगी धागे से धारण करें. क्रोध,अवसाद और वैवाहिक बाधा से मुक्ति मिलेगी==099260770q0 बुध==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
यदि आपकी कुंडली में बुध द्वादश,अष्टम भाव में या नीच का होकर मीन राशि में है, तो आप आश£ेषा नक्षत्र वाले दिन विधारा की जड़ गणेश भगवान को को समर्पित करने के पश्चात \
ऊँ बुं बुधाय नम:

मंत्र का जाप कर के हरे रंग के धागे में धारण करें. इस से बुद्धि विकसित होगी तथ निर्णय लेने में हो रही त्रुटि का भी समाधान होगा.
गुरु=ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर =
आपकी कुंडली में यदि गुरु रहु द्वरा युक्त है,राहु द्वारा ²ष्ट है या नीच का होकर मकर राशि में है,तो शुद्ध और ताजी हल्दी की गाँठ पीले धागे में, पुनवर्सु नक्षत्र वाले दिन कृष्ण भगवान या बृहस्पति देव जी की पूजा कर के ऊँ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जप करके धारण करें. व्यवसाय,नौकरी,विवाह सम्बन्धी समस्या और लीवर सम्बन्धी रोगों में लाभ होगा.
शुक्र==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
यदि आपकी कुंडली में शुक्र अष्टम भाव में है या नीच का होकर कन्या राशि में है, तो आप सरपोंखा की जड़, भरणी नक्षत्र वाले दिन सफेद धागे से सायंकाल के समय लक्ष्मी जी का पूजन कर\
ऊँ शुं शुक्राय नम: === 
मंत्र का जाप कर के धारण करें. संतानहीनता,कर्ज की अधिकता और धन के अभाव जैसी समस्या से मुक्ति मिलेगी.09926077010 
शनि==ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
आपकी कुंडली में यदि शनि सूर्य युक्त है,सप्तम भाव में है या नीच का होकर मेष राशि में है तो आप अनुराधा नक्षत्र वाले दिन बिच्छू या बिच्छौल की घांस को नीले धागे से काली जी की पूजा के पश्चात \
ऊँ शं शनैश्चराय नम:
मंत्र का जाप कर के धारण करें. कार्यों में हो रहे विलम्ब,कानूनी अड़चन और रोगों से मुक्ति मिलेगी.

राहु====ग्रहों की शांती पेड़ पौधों की जड़ों से भी -- सस्ता और सुन्दर 
आपकी कुंडली में राहु लग्न,सप्तम या भाग्य स्थान मे है, तथा शुभ ग्रहों से युक्त है तो आप आद्र्रा नक्षत्र वाले दिन चन्दन की लकड़ी का टुकड़ा शिव जी का अभिषेक कर के भूरे धागे में
ऊँ रां राहुए नम:
मंत्र का जाप कर के धारण करें. रोग,चिड़चिड़ापन,क्रोध,बुरी आदतों तथा अस्थिरता से मुक्ति मिलेगी.
केतु== 09926077010 
यदि आपकी कुंडली में केतु,चन्द्र या मंगल युक्त होकर लग्नस्थ है, तो आप अश्विनी नक्षत्र वाले दिन गणेश जी का पूजन करने के पश्चात शुद्ध की हुई असगन्ध या अश्वगन्धा की जड़
, ऊँ कें केतवे नम:
मंत्र का जाप करने के पश्चात, नारंगी धागे से धारण करें. चर्म सम्बन्धी रोग,किडनी रोगों और वैवाहिक समस्याओं में लाभ होगा.
याद रखें कि समस्या की पूर्ण मुक्ति के लिये, आपको मंत्रों का जाप प्रतिदिन करना होगा.
grahon ka dan === sarv sulabh he yah apnaye 
ग्रह और उनसे सम्बन्धित दान समग्री
यदि आपको कोई ग्रह pida है,तो सम्बन्धित जड़ को धारण करने के पश्चात उस से सम्बन्धित वस्तुओं का लोगों को दान करने से भी लाभ होता है:
सूर्य :
माणिक्य, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़, केसर अथवा तांबा.
चंद्र :
बांस की टोकरी, चावल, श्वेत वस्त्र, श्वेत पुष्प, घी से भरा पात्र, चांदी, मिश्री, दूध, दही.
मंगल 
: मूंगा, गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र, कनेर पुष्प, गुड़, तांबा, लाल चंदन, केसर.
बुध :09926077010 

हरे मूंग, हरा वस्त्र, हरा फल, पन्ना, केसर, कस्तूरी, कपूर, घी, मिश्री, धार्मिक पुस्तकें.
गुरू :
घी, शहद, हल्दी, पीत वस्त्र, शास्त्र पुस्तक, पुखराज, लवण, कन्याओं को भोजन.
शुक्र :
सफेद वस्त्र, श्वेत स्फटिक, चावल, सुगंधित वस्तु, कपूर, अथवा पुष्प, घी- शक्कर- मिश्री-दही.
शनि 
: तिल, सभी तेल, लोहा धातु, छतरी, काली गाय, काला कपड़ा, नीलम, जूता,कंबल.
राहु =09926077010 
: गेहूं, उड़द, काला घोड़ा, खडग़, कंबल, तिल, लौह, सप्त धान्य, अभ्रक.
केतु : 
तिल, कंबल, काला वस्त्र तथा पुष्प, सभी तेल, उड़द, काली मिर्च, सप्तधान्य.ka dan kare

Career & Karakamsh Kundali ,कॅरियर और कारकांश कुंडली , कॅरियर कोण सा कैसे बनाये \

Career & Karakamsh Kundali कॅरियर और कारकांश कुंडली , कॅरियर कोण सा कैसे बनाये \


keriyar chuno or aage badon 

09926077010 ya hamse jano 


\आज युवाओं के बीच सबसे अधिक चिंता का विषय आजीविका है.चिंता के इस विषय का समाधान ज्योतिष विधि से किया जाए तो मुश्किल काफी हद तक आसान हो सकती है.ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार हमारी कुण्डली में सब कुछ लिखा है बस उसे गहरी से जानने की आवश्यकता है.आइये जानें क्या 

कहती है कुण्डली कैरियर के बारे में.

आजीविका और कैरियर के विषय में दशम भाव को देखा जाता है (Tenth Bhava is for Career).दशम भाव अगर खाली है तब दशमेश जिस ग्रह के नवांश में होता है उस ग्रह के अनुसार आजीविका का विचार किया जाता है.द्वितीय एवं एकादश भाव में ग्रह अगर मजबूत स्थिति में हो तो वह भी आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार व्यक्ति की कुण्डली में दशमांश शुभ स्थान पर मजबूत स्थिति में होता है (Strongly placed tenth lord) तो यह आजीविका के क्षेत्र में उत्तम संभावनाओं का दर्शाता है.दशमांश अगर षष्टम, अष्टम द्वादश भाव में हो अथवा कमज़ोर हो तो यह रोजी रोजगार के संदर्भ में कठिनाई पैदा करता है.\
जैमिनी पद्धति के अनुसार व्यक्ति के कारकांश कुण्डली में लग्न स्थान में सूर्य या शुक्र होता है तो व्यक्ति राजकीय पक्ष से सम्बन्धित कारोबार करता है अथवा सरकारी विभाग में नौकरी करता है.कारकांश में चन्द्रमा लग्न स्थान में हो (Moon in Ascendant in Karakamsh Kundali) और शुक्र उसे देखता हो तो इस स्थिति में अध्यापन के कार्य में सफलता और कामयाबी मिलती है.कारकांश में चन्द्रमा लग्न में होता है और बुध उसे देखता है तो यह चिकित्सा के क्षेत्र में कैरियर की बेहतर संभावनाओं को दर्शाता है.कारकांश में मंगल के लग्न स्थान पर होने से व्यक्ति अस्त्र, शस्त्र, रसायन एवं रक्षा विभाग से जुड़कर सफलता की ऊँचाईयों को छूता है.
कारकांश लग्न में जिस व्यक्ति के बुध होता (Mercury in Ascendant of Karakamsh Kundali) है वह कला अथवा व्यापार को अपनी आजीविका का माध्यम बनता है तो आसानी से सफलता की ओर बढ़ता है.कारकांश में लग्न स्थान पर अगर शनि या केतु है तो इसे सफल व्यापारी होने का संकेत समझना चाहिए.सूर्य और राहु के लग्न में होने पर व्यक्ति रसायनशास्त्री अथवा चिकित्सक हो सकता है.

ज्योतिष विधान के अनुसार कारकांश से तीसरे, छठे भाव में अगर पाप ग्रह स्थित हैं या उनकी दृष्टि है तो इस स्थिति में कृषि और कृषि सम्बन्धी कारोबार में आजीविका का संकेत मानना चाहिए.कारकांश कुण्डली में चौथे स्थान पर केतु (Ketu in fourth house of Karakamsh Kundali) व्यक्ति मशीनरी का काम में सफल होता है.राहु इस स्थान पर होने से लोहे से कारोबार में कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली में चन्द्रमा अगर लग्न स्थान से पंचम स्थान पर होता है और गुरू एवं शुक्र से दृष्ट या युत होता है तो यह लेखन एवं कला के क्षेत्र में उत्तमता दिलाता है.
कारकांश में लग्न से पंचम स्थान पर मंगल (Mars in fifth house of Karakamsh Kundali) होने से व्यक्ति को कोर्ट कचहरी से समबन्धित मामलों कामयाबी मिलती है.कारकांश कुण्डली के सप्तम भाव में स्थित होने से व्यक्ति शिल्पकला में महारत हासिल करता है और इसे अपनी आजीविका बनाता है तो कामयाब भी होता है.करकांश में लग्न से पंचम स्थान पर केतु व्यक्ति को गणित का ज्ञाता बनाता है.
docter banne ke yog 
”जैमिनी सूत्रम्“ के श्लोक नं. 87 के अनुसार यदि कारकांश लग्न में शुक्र या चंद्र हो और वहां स्थित चंद्र को बुध देखता हो तो जातक डाॅक्टर होता है। Û आचार्य मुकंद देवज्ञ के अनुसार यदि आत्मकारक ग्रह मंगल हो या मेष या वृश्चिक नवांश में हो तो जातक डाॅक्टर होता है। Û यदि आत्मकारक ग्रह मंगल का संबंध चंद्र या सूर्य से हो तो जातक सरकारी अस्पताल में डाॅक्टर होता है। विवेचन एवं विश्लेषण: इसमें हमने 36 कुंडलियों का अध्ययन किया। इस सर्वेक्षण में हमने पाया कि अधिकतर जातक की कुंडलियों में आत्मकारक ग्रह बुध है और बुध का दृष्टि-युति प्रभाव कुल मिलाकर 52 प्रतिशत सबसे अधिक पाया गया। बुध का जो कि बुद्धि, स्मरण शक्ति, तर्क का प्रतीक है जातक को चिकित्सक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। बुध के बाद सूर्य का आत्मकारक ग्रह के रूप में महत्वपूर्ण योगदान रहा, सूर्य जो कि औषधि और स्वास्थ्य का कारक है। चिकित्सक बनने के लिए इसका बली होना जरूरी है। इसके बाद मंगल का जो कि शक्ति, ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है। प्रभाव सबसे अधिक पाया गया। अगर आत्मकारक ग्रह मंगल हो या मंगल के नवांश में हो या नवांश कुंडली में मंगल से दृष्ट हो या युक्त हो तो डाॅक्टर होता है। मंगल क्योंकि रक्त का कारक है। तेज धार वाले औजारों का कारक है। चिकित्सा क्षेत्र में इनका योगदान होता है। इसलिए बली मंगल का जातक को चिकित्सक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। राहु और केतु को यद्यपि आत्मकारक नहीं माना फिर भी इसका युति व दृष्टि प्रभाव सबसे अधिक रहा। राहु केतु का सम्मिलित प्रभाव 61 प्रतिशत आश्चर्यजनक है। राहु एंटीबायटिक औषधियों का प्रतीक है। जीवाणुनाशक औषधियों द्वारा रोग का उपचार करने में राहु व केतु का बली होना आवश्यक है। ग्रह युति प्रभाव: हमारे सर्वेक्षण में डाॅक्टरों की कुंडलियों में बुध केतु और मंगल का युति प्रभाव सबसे अधिक देखा गया। दृष्टि प्रभाव: आत्मकारक ग्रह पर सबसे अधिक राहु का दृष्टि प्रभाव था, राहु का 25 प्रतिशत दृष्टि प्रभाव 

ज्योतिष :कुंडली से जाने:नौकरी के योग :किसे नौकरी मिलगी :नौकरी मे बाधाओं और उपाय :Astrology :Job yog: Who will get Jobs: obstacles and upay :

ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं। कुंडली से जाने:नौकरी के योग :   किसे  नौकरी मिलगी :नौकरी मे बाधाओं और  उपाय :
रोजगार: 10 वीं हाउस, 2 हाउस और सूर्य
दशम भाव:कारक ---
पेशे, प्रसिद्धि, बिजली, स्थिति, अधिकार, सम्मान, सफलता, स्थिति, घुटनों, चरित्र, कर्म, जीवन, पिता, वरिष्ठ अधिकारियों, व्यापार में स्वयं और वरिष्ठ अधिकारियों, सफलता के बीच संबंध, पदोन्नति, सरकार से मान्यता राज्य, व्यापार, नौकरी, प्रशासनिक स्तर, मान-सम्मान, सफलता, सार्वजनिक जीवन, घुटने, संसद, विदेश व्यापार, आयात-निर्यात, विद्रोह
 दूसरा हाउस:कारक ---shiv mehta 09926077010 
धन, परिवार, भाषण, दाहिनी आंख, नाखून, जीभ, नाक, दांत, महत्वाकांक्षा, भोजन, कल्पना, धोखाधड़ी आभूषण,  कुटुंब, वाणी विचार, धन की बचत, सौभाग्य, लाभ-हानि, आभूषण, दृष्टि, दाहिनी आँख, स्मरण शक्ति, नाक, ठुड्डी, दाँत,  कला, सुख, गला, कान,
सूर्य :आत्मा, स्वास्थ्य, पिता, शक्ति, रॉयल्टी, सत्ता, शोहरत, नाम, साहस, विरासत, चिकित्सा,  प्रतिष्ठा, ताकत, , ज्ञान इच्छाशक्ति, ऊर्जा,सौभाग्य ,

 कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम: प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।
डी 9 ,डी १० चार्ट मे भी दिखना है। 
लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में 
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में 
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या anter dsha me 
दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में  
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।swami aannd shiv mehta = 09926077010 
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।

छठा भाव :छठा भाव नौकरी का एवं सेवा का है।
छठे भाव का कारक भाव शनि है।
 दशम भाव या दशमेश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी  करता है। 

राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :
जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है।  
 गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
गोचर  : नौकरी मिलने के समय शनि या गुरु का या दोनों का दशम भाव और दशमेश दोनों से या किसी एक से संबंध होता है।सरकारी नौकरी:यह जान लें कि दशम भाव बली हो तो नौकरी  .
 नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति 
सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर  सरकारी
 नौकरी करता है।
 केंद्र में गुरु स्थित होने पर 
सरकारी नौकरी मे  उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी karta he \ 
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी करता है.
मंगल 
कुण्डली में बली हो तो पुलिस, खुफिया विभाग अथवा सेना में उच्च पद होने की संभावना होती है।
गुरु 
कुण्डली में बली हो तो  जातक को अच्छा वकील, जज, धार्मिक प्रवक्ता , ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद बनाता है।
बुध 
कुण्डली में बली हो तो  व्यापारी, लेखक, एकाउन्टेंट, लेखन एवं प्रकाशन, में  ।
शुक्र 
कुण्डली में बली हो तो  फिल्मी कलाकार,  गायक, सौंदर्य संबंधी ।
राहु से आयात व्यापार एवं केतु से निर्यात व्यापार ।  

 कामयाबी योग :
shiv mehta 09926077010 
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।  
फलादेश कैसे करते  है ----
 - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते
shiv mehta 00026077010 
सूर्य और कॅरियर:  दसवां भाव सूर्य काघर माना गया है। दसवें घर से  प्रोफेशन, कॅरियर, कार्यस्थल, कार्य सफलता, प्रगति देखी जाती है। दसवें भाव में कोई अनिष्टकारी घर बैठा हो, सूर्य नीच एवं किसी ग्रह से पीड़ित हो,  सूर्य को ग्रहण लगा हो तो व्यक्ति के कॅरियर में समस्याएं आती हैं।  
नौकरी मिलने में बाधा आ रही हो और पदोन्नति में समस्याएं आ रही हो ,उन्हें सूर्य साधना से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है।
 सूर्य के उपाय 09926077010
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
 ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
 गायत्री का जप कर ले
 घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे
पिता की सेवा
शराब और मांसाहार न खिलाये
शिवजी ,पीपल के उपाय।

 कॅरियर में सफलता के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करें।
लाल वस्त्र, लाल चन्दन, तांबे का बर्तन, केसर, गुड़, गेहूं का दान रविवार को करना शुभ फल प्रदान करता है।
 रविवार काव्रत रखें, इस दिन नमक का प्रयोग न करें।
  घर से बहार निकलने से पहले थोड़ा सा गुड़ खाएं।
 माता पिता के पांव छुकर आशीर्वाद लें।

 नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिष को  दिखाइए ।09926077010 shiv mehta 

रविवार, 3 जनवरी 2016

हाथ देखकर कुंडली बनाना , अज्ञात कुंडली बनाना , जिनकी जन्म तिथि न हो उनकी कुंडली बनाना

 हाथ देखकर   कुंडली बनाना , अज्ञात कुंडली बनाना , जिनकी जन्म तिथि न हो उनकी कुंडली बनाना 

कभी कभी किसी कारणवश जन्म तारीख और दिन माह वार आदि का पता नही होता है,कितनी ही कोशिशि की जावे लेकिन जन्म तारीख का पता नही चल पाता है,जातक को सिवाय भटकने के और कुछ नही प्राप्त होता है,किसी ज्योतिषी से अगर अपनी जन्म तारीख निकलवायी भी जावे तो वह क्या कहेगा,इसका भी पता नही होता है,इस कारण के निवारण के लिये आपको कहीं और जाने की जरूरत नही है,किसी भी दिन उजाले में बैठकर एक सूक्षम दर्शी सीसा लेकर बैठ जावें,और अपने दोनो हाथों बताये गये नियमों के अनुसार देखना चालू कर दें,साथ में एक पेन या पैंसिल और कागज भी रख लें,तो देखें कि किस प्रकार से अपना हाथ जन्म तारीख को बताता है।शिव मेहता -- 09926077010 === इंदौर 
==== mujhe to thik lga -- koshish kare aap ===
अपनी वर्तमान की आयु का निर्धारण करें-- 09926077010 , shiv mehta 
हथेली मे चार उंगली और एक अगूंठा होता है,अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत,फ़िर पहली उंगली तर्जनी उंगली की तरफ़ जाने पर अंगूठे और तर्जनी के बीच की जगह को मंगल पर्वत,तर्जनी के नीचे को गुरु पर्वत और बीच वाली उंगली के नीचे जिसे मध्यमा कहते है,शनि पर्वत,और बीच वाली उंगले के बाद वाली रिंग फ़िंगर या अनामिका के नीचे सूर्य पर्वत,अनामिका के बाद सबसे छोटी उंगली को कनिष्ठा कहते हैं,इसके नीचे बुध पर्वत का स्थान दिया गया है,इन्ही पांच पर्वतों का आयु निर्धारण के लिये मुख्य स्थान माना जाता है,उंगलियों की जड से जो रेखायें ऊपर की ओर जाती है,जो रेखायें खडी होती है,उनके द्वारा ही आयु निर्धारण किया जाता है,गुरु पर्वत से तर्जनी उंगली की जड से ऊपर की ओर जाने वाली रेखायें जो कटी नही हों,बीचवाली उंगली के नीचे से जो शनि पर्वत कहलाता है,से ऊपर की ओर जाने वाली रेखायें,की गिनती करनी है,ध्यान रहे कि कोई रेखा कटी नही होनी चाहिये,शनि पर्वत के नीचे वाली रेखाओं को ढाई से और बृहस्पति पर्वत के नीचे से निकलने वाली रेखाओं को डेढ से,गुणा करें,फ़िर मंगल पर्वत के नीचे से ऊपर की ओर जाने वाली रेखाओं को जोड लें,इनका योगफ़ल ही वर्तमान उम्र होगी।
अपने जन्म का महिना और राशि को पता करने का नियम --- 09926077010 
अपने दोनो हाथों की तर्जनी उंगलियों के तीसरे पोर और दूसरे पोर में लम्बवत रेखाओं को २३ से गुणा करने पर जो संख्या आये,उसमें १२ का भाग देने पर जो संख्या शेष बचती है,वही जातक का जन्म का महिना और उसकी राशि होती है,महिना और राशि का पता करने के लिये इस प्रकार का वैदिक नियम अपनाया जा सकता है:-
१-बैशाख-मेष राशि--- 09926077010
२.ज्येष्ठ-वृष राशि
३.आषाढ-मिथुन राशि
४.श्रावण-कर्क राशि
५.भाद्रपद-सिंह राशि
६.अश्विन-कन्या राशि
७.कार्तिक-तुला राशि
८.अगहन-वृश्चिक राशि
९.पौष-धनु राशि
१०.माघ-मकर राशि
११.फ़ाल्गुन-कुम्भ राशि
१२.चैत्र-मीन राशि

इस प्रकार से अगर भाग देने के बाद शेष १ बचता है तो बैसाख मास और मेष राशि मानी जाती है,और २ शेष बचने पर ज्येष्ठ मास और वृष राशि मानी जाती है।
हाथ में राशि का स्पष्ट निशान भी पाया जाता है--- 09926077010 
प्रकृति ने अपने द्वारा संसार के सभी प्राणियों की पहिचान के लिये अलग अलग नियम प्रतिपादित किये है,जिस प्रकार से जानवरों में अपनी अपनी प्रकृति के अनुसार उम्र की पहिचान की जाती है,उसी प्रकार मनुष्य के शरीर में दाहिने या बायें हाथ की अनामिका उंगली के नीचे के पोर में सूर्य पर्वत पर राशि का स्पष्ट निशान पाया जाता है। उस राशि के चिन्ह के अनुसार महिने का उपरोक्त तरीके से पता किया जा सकता है।
पक्ष और दिन का तथा रात के बारे में ज्ञान करना--- swami aannd shiv mehta - indore 
वैदिक रीति के अनुसार एक माह के दो पक्ष होते है,किसी भी हिन्दू माह के शुरुआत में कृष्ण पक्ष शुरु होता है,और बीच से शुक्ल पक्ष शुरु होता है,व्यक्ति के जन्म के पक्ष को जानने के लिये दोनों हाथों के अंगूठों के बीच के अंगूठे के विभाजित करने वाली रेखा को देखिये,दाहिने हाथ के अंगूठे के बीच की रेखा को देखने पर अगर वह दो रेखायें एक जौ का निशान बनाती है,तो जन्म शुक्ल पक्ष का जानना चाहिये,और जन्म दिन का माना जाता है,इसी प्रकार अगर दाहिने हाथ में केवल एक ही रेखा हो,और बायें हाथ में अगर जौ का निशान हो तो जन्म शुक्ल पक्ष का और रात का जन्म होता है,अगर दाहिने और बायें दोनो हाथों के अंगूठों में ही जौ का निशान हो तो जन्म कृष्ण पक्ष रात का मानना चाहिये,साधारणत: दाहिने हाथ में जौ का निशान शुक्ल पक्ष और बायें हाथ में जौ का निशान कृष्ण पक्ष का जन्म बताता है।
जन्म तारीख की गणना--शिव मेहता -- 09926077010 === इंदौर 
मध्यमा उंगली के दूसरे पोर में तथा तीसरे पोर में जितनी भी लम्बी रेखायें हों,उन सबको मिलाकर जोड लें,और उस जोड में ३२ और मिला लें,फ़िर ५ का गुणा कर लें,और गुणनफ़ल में १५ का भाग देने जो संख्या शेष बचे वही जन्म तारीख होती है। दूसरा नियम है कि अंगूठे के नीचे शुक्र क्षेत्र कहा जाता है,इस क्षेत्र में खडी रेखाओं को गुना जाता है,जो रेखायें आडी रेखाओं के द्वारा काटी गयीं हो,उनको नही गिनना चाहिये,इन्हे ६ से गुणा करने पर और १५ से भाग देने पर शेष मिली संख्या ही तिथि का ज्ञान करवाती है,यदि शून्य बचता है तो वह पूर्णमासी का भान करवाती है,१५ की संख्या के बाद की संख्या को कृष्ण पक्ष की तिथि मानी जाती है।
जन्म वार का पता करना--- shiv mehta - 09926077010
अनामिका के दूसरे तथा तीसरे पोर में जितनी लम्बी रेखायें हों,उनको ५१७ से जोडकर ५ से गुणा करने के बाद ७ का भाग दिया जाता है,और जो संख्या शेष बचती है वही वार की संख्या होती है। १ से रविवार २ से सोमवार तीन से मंगलवार और ४ से बुधवार इसी प्रकार शनिवार तक गिनते जाते है।
जन्म समय और लगन की गणना---शिव मेहता -- 09926077010 === इंदौर
सूर्य पर्वत पर तथा अनामिका के पहले पोर पर,गुरु पर्वत पर तथा मध्यमा के प्रथम पोर पर जितनी खडी रेखायें होती है,उन्हे गिनकर उस संख्या में ८११ जोडकर १२४ से गुणा करने के बाद ६० से भाग दिया जाता है,भागफ़ल जन्म समय घंटे और मिनट का होता है,योगफ़ल अगर २४ से अधिक का है,तो २४ से फ़िर भाग दिया जाता है।
इस तरह से कोई भी अपने जन्म समय को जान सकता है।शिव मेहता -- 09926077010 === इंदौर