सोमवार, 22 सितंबर 2014

shiv pujan ,nshamukti , shukh - shanti


आप , आपके बच्चे या परिवार का कोई अन्य , आपके पति =भाई = कोई भी बहुत अधिक काम-वासना में लिप्त हो जाये , परिवार की और ध्यान न दे , या पेसो को ही सब कुछ मन बैठे , तब आप उनसे यह पथ नित्य पढ़ने का कहे \ कुछ ही दिनों में मानसिकता में बदलाव होगा == मेरा आजमाया प्रयोग हे \\ 

shiv pujan ,nshamukti , shukh - shanti 



नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं
ब्रह्म वेदस्वरूपं।
निजं निगुर्णं निर्विकल्पं निरीहं
i 
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहं ।। 1।।
निराकारमोंकालमूलं तुरीयं। गिराग्यान
गोतीतमीशं गिरीशं।
करालं महाकालकालं कृपालं। गुणा गार
संसारपारं नतोअहं।। 2।।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं।
मनोभूतकोटि प्रभा श्री शरीरं।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसदभाल
बालेन्दु कंठे भुजंगा ।। 3।।
चलत्कुंडलं भू्र सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकंठं
दयालमं।
मृगाद्दीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं
सर्वनाथं भजामि ।। 4।।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशम्। अखण्डं अजं
भनुकोटिप्रकाशं।
त्रय: शूल निमूर्लनं शूलपाणिं। भजेअहं
भवानीपतिं भावगम्यं ।। 5।।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी।
सदा सच्चिदानन्द दाता पुरारी।
चिदानंद संदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद
प्रभो मन्मथारी।। 6।।
न यावद उमानाथ पादारविन्दं। भजंतीह लोके
परे वा नराणां।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद
प्रभो सर्वभूताद्दिवासं।। 7।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतोअहं
सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यं।
जराजन्म दु:खौघतातप्यमानं।
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ।। 8।।
श्लोक – रूद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भु: प्रसीदते ।। 9
स्वामी आनंद शिव मेहता = 099260 -77010

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