=== सिद्धी का भूत ===साधनाओ का संसार
==
किसी व्यक्ति को साधनाओ को संपन्न करने का और प्रसिद्ध होने को शोक लगा = व पूजा पाठ करने लगा बहुत ज्यादा समय इसमें लगाने लगा \\
== किसी ने उसको हनुमान जी की विधि बताई और यह भी बताया की इसमें संयम से रहते हे , उनकी पत्नी भी थी , कुछ ही दिनों में उन्हें एक संयमी प्रेत ने पकड़ लिया = उनकी भाषा में लिखे तो उन्हें सिद्धी हो गयी == अक्सर अनेको प्रेत-भुत अपनी सेवा के लिए लोगो को पकड़ लेते हे , और वह व्यक्ति उन्हीं की सेवा पूजा में लगा रहता हे \\ वह जो कहता हे वह होता हे उसको भविष्यवाणी का शोक लग जाता हे , उसकी वाणी में चमत्कार भी होते हे , आनेको रहस्यमय बातें भी वह बताता हे , और फिर होता हे इसका व्यापर आरम्भ = पहले वह साधक सेवा भावी ही होता हे फिर वह व्यापारी बनता जाता हे , उसके पास जुवारियो - सटोरियों की और आज के समय में वायदा बाजार वालों की लाइन लगती हे और बस == यह कुछ ही दिन चलता हे , फिर भविष्य बताने से उसका सत तेज नस्ट हो जाता हे \\ == इस तरह का व्यक्ति किसी प्रकार का कार्य या व्यवसाय नहीं करता हे = भगवन के नाम पर ही लोगो का दिया खाता हे , यदि व्यापर करें भी तो वह चलता नहीं हे , हाँ यदि नौकरी हो तो बात अलग हे ,\ == अब उनके संयम से पत्नी व्यथित उनका मन तो वह जाता नहीं और पत्नी की व्यथा - उसकी विरह वेदना और साहचर्य की चेस्टा बड़ी विलक्षण स्थिति == अब वह महाशय अलग कमरे में सोने लगे = कारण था की किसी दिन संयम जवाब दे गया और वह कुछ दिनों तक शक्ति विहीन से हो गए = फिर क्या नारी नरक का द्वार नजर आने लगी और क्या ........ पत्नी अन्यत्र ..... == अब यह महिलावों से भुत दूर रहते = उन्हें अपने पास भी नहीं आने देते = और बात किसी महिला से नहीं करते = किसी स्त्री को पैर भी नहीं छूने देते == इसका भी कारन था की स्त्री के पैर को हाथ लगाने के बाद उनकी काम चेस्टा तत्काल बाद जाती कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता और वह विचलित हो जाते और पत्नी से साहचर्य कर नहीं सकते सो हस्ताचार से ऊर्जा को नस्ट करने से ही शांति मिलती यह भी दुःख \\ == अब पत्नी के हाथ का बनाया खाना भी नहीं खाए स्वयं ही बनाये = परिवार भी और रिस्तेदार भी दुःखी मगर वह बड़े ही प्रशन्न की लोग तारीफ करते हे \\ == और इस तरह साधना ने उनका जीवन ही बदल दिया == स्वर्ग था यह या नरक समझ नहीं आता उन्हें किन्तु वह जानते थे की वह मोक्षगामी हे और परमात्मा के पास जायेंगे \\ == किन्तु वास्तव में यह एक बीमारी ही हे जो ठीक हो सकती हे , यह प्रेत बाधा ही हे , जो की किसी पूजा पति की आत्मा का प्रवेश हे \\ इस तरह यदि किसी बेवड़े की आत्मा लग जाये तो वह आदमी शराबी हो जाता हे , और यदि आत्मा किसी नीच आदमी की लग जाये तो वह नीच ही बन जता हे \\ किसी ज्योतिष की आत्मा लग जाये तो वह ज्योतिष हो जाता हे \\ किसी पंडित की आत्मा लग जाये तो आदमी पूजा पाठी बन जाता हे \\ जब भी कोई व्यक्ति अपनी आदत के विपरीत कार्य करने लग जाये तो समझो की किसी अन्य के असर में यह आ चूका हे \\ और यह कभी कभी नहीं होता हे यह उसकी महादशा के बदलने या अंतर दशा बदलने पर ही होता हे , यह यदि राहु के प्रभाव से हो तो वह शराबी = कबाबी सिद्ध , गुरु से हो तो अत्यंत धार्मिक पूजा पाठी , सूर्य से हो तो अत्यंत प्रभावशाली तेजस्वी गुरु , मंगल से हो तो हिंसक गुस्सेल सिद्ध , शुक्र से होतो धनात्मक संत या सिद्ध जिसका मन धन में लगा रहे , बुध से हो तो ज्ञानी विद्वान और ज्योतिष संत साधु या सिद्ध , शनि से हो तो नपुंसक ,त्यागी,तपस्वी,संत,सिद्ध प्रसिद्ध सन्यासी,वस्त्र विहीन संत बनता हे या इसी तरह की आत्मा उसको लगती हे \\ यह एक बीमारी ही हे जो ठीक हो जाती हे , \\ किन्तु आसानी से ठीक नहीं होती हे \\ इसका इलाज आधुनिक विज्ञानं के पास नहीं हे , और न ही कोई इलाज इनके पास हे , इस तरह की बीमारी को वह मानसिक रोग और डिप्रेशन कहते हे और उनके पास इसका एक ही इलाज हे , नींद की गोली या दवाई , इनका मन्ना हे की यह सो जायेगा तो ठीक हो जायेगा , किन्तु महीनो के इलाज से भी यह ठीक नहीं होते हे == इनको किसी जानकर , सिद्ध को दिखया जय तो यह कुछ ही समय में ठीक हो जाते हे == इस तरह की बीमारी अस्त केतु के समय या भीत अवस्था के समय प्रभावकारी होती हे \\ राम राम \\ === यहाँ तक पड़ने पर जो भी विचार आपको आये , वह अपनी स्वतंत्र पोस्ट बनाकर ही व्यक्त करे , कोई कॉमेंट , सलाह , विद्वत्ता या खुशी=दुःख व्यक्त नहीं करे , इससे लोग भटकते हे == यह भी संभव हे की आप हमसे ज्यादा ही जानते हे , और विद्वान भी आप हे ही \\ 09926077010 =
किसी व्यक्ति को साधनाओ को संपन्न करने का और प्रसिद्ध होने को शोक लगा = व पूजा पाठ करने लगा बहुत ज्यादा समय इसमें लगाने लगा \\
== किसी ने उसको हनुमान जी की विधि बताई और यह भी बताया की इसमें संयम से रहते हे , उनकी पत्नी भी थी , कुछ ही दिनों में उन्हें एक संयमी प्रेत ने पकड़ लिया = उनकी भाषा में लिखे तो उन्हें सिद्धी हो गयी == अक्सर अनेको प्रेत-भुत अपनी सेवा के लिए लोगो को पकड़ लेते हे , और वह व्यक्ति उन्हीं की सेवा पूजा में लगा रहता हे \\ वह जो कहता हे वह होता हे उसको भविष्यवाणी का शोक लग जाता हे , उसकी वाणी में चमत्कार भी होते हे , आनेको रहस्यमय बातें भी वह बताता हे , और फिर होता हे इसका व्यापर आरम्भ = पहले वह साधक सेवा भावी ही होता हे फिर वह व्यापारी बनता जाता हे , उसके पास जुवारियो - सटोरियों की और आज के समय में वायदा बाजार वालों की लाइन लगती हे और बस == यह कुछ ही दिन चलता हे , फिर भविष्य बताने से उसका सत तेज नस्ट हो जाता हे \\ == इस तरह का व्यक्ति किसी प्रकार का कार्य या व्यवसाय नहीं करता हे = भगवन के नाम पर ही लोगो का दिया खाता हे , यदि व्यापर करें भी तो वह चलता नहीं हे , हाँ यदि नौकरी हो तो बात अलग हे ,\ == अब उनके संयम से पत्नी व्यथित उनका मन तो वह जाता नहीं और पत्नी की व्यथा - उसकी विरह वेदना और साहचर्य की चेस्टा बड़ी विलक्षण स्थिति == अब वह महाशय अलग कमरे में सोने लगे = कारण था की किसी दिन संयम जवाब दे गया और वह कुछ दिनों तक शक्ति विहीन से हो गए = फिर क्या नारी नरक का द्वार नजर आने लगी और क्या ........ पत्नी अन्यत्र ..... == अब यह महिलावों से भुत दूर रहते = उन्हें अपने पास भी नहीं आने देते = और बात किसी महिला से नहीं करते = किसी स्त्री को पैर भी नहीं छूने देते == इसका भी कारन था की स्त्री के पैर को हाथ लगाने के बाद उनकी काम चेस्टा तत्काल बाद जाती कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता और वह विचलित हो जाते और पत्नी से साहचर्य कर नहीं सकते सो हस्ताचार से ऊर्जा को नस्ट करने से ही शांति मिलती यह भी दुःख \\ == अब पत्नी के हाथ का बनाया खाना भी नहीं खाए स्वयं ही बनाये = परिवार भी और रिस्तेदार भी दुःखी मगर वह बड़े ही प्रशन्न की लोग तारीफ करते हे \\ == और इस तरह साधना ने उनका जीवन ही बदल दिया == स्वर्ग था यह या नरक समझ नहीं आता उन्हें किन्तु वह जानते थे की वह मोक्षगामी हे और परमात्मा के पास जायेंगे \\ == किन्तु वास्तव में यह एक बीमारी ही हे जो ठीक हो सकती हे , यह प्रेत बाधा ही हे , जो की किसी पूजा पति की आत्मा का प्रवेश हे \\ इस तरह यदि किसी बेवड़े की आत्मा लग जाये तो वह आदमी शराबी हो जाता हे , और यदि आत्मा किसी नीच आदमी की लग जाये तो वह नीच ही बन जता हे \\ किसी ज्योतिष की आत्मा लग जाये तो वह ज्योतिष हो जाता हे \\ किसी पंडित की आत्मा लग जाये तो आदमी पूजा पाठी बन जाता हे \\ जब भी कोई व्यक्ति अपनी आदत के विपरीत कार्य करने लग जाये तो समझो की किसी अन्य के असर में यह आ चूका हे \\ और यह कभी कभी नहीं होता हे यह उसकी महादशा के बदलने या अंतर दशा बदलने पर ही होता हे , यह यदि राहु के प्रभाव से हो तो वह शराबी = कबाबी सिद्ध , गुरु से हो तो अत्यंत धार्मिक पूजा पाठी , सूर्य से हो तो अत्यंत प्रभावशाली तेजस्वी गुरु , मंगल से हो तो हिंसक गुस्सेल सिद्ध , शुक्र से होतो धनात्मक संत या सिद्ध जिसका मन धन में लगा रहे , बुध से हो तो ज्ञानी विद्वान और ज्योतिष संत साधु या सिद्ध , शनि से हो तो नपुंसक ,त्यागी,तपस्वी,संत,सिद्ध प्रसिद्ध सन्यासी,वस्त्र विहीन संत बनता हे या इसी तरह की आत्मा उसको लगती हे \\ यह एक बीमारी ही हे जो ठीक हो जाती हे , \\ किन्तु आसानी से ठीक नहीं होती हे \\ इसका इलाज आधुनिक विज्ञानं के पास नहीं हे , और न ही कोई इलाज इनके पास हे , इस तरह की बीमारी को वह मानसिक रोग और डिप्रेशन कहते हे और उनके पास इसका एक ही इलाज हे , नींद की गोली या दवाई , इनका मन्ना हे की यह सो जायेगा तो ठीक हो जायेगा , किन्तु महीनो के इलाज से भी यह ठीक नहीं होते हे == इनको किसी जानकर , सिद्ध को दिखया जय तो यह कुछ ही समय में ठीक हो जाते हे == इस तरह की बीमारी अस्त केतु के समय या भीत अवस्था के समय प्रभावकारी होती हे \\ राम राम \\ === यहाँ तक पड़ने पर जो भी विचार आपको आये , वह अपनी स्वतंत्र पोस्ट बनाकर ही व्यक्त करे , कोई कॉमेंट , सलाह , विद्वत्ता या खुशी=दुःख व्यक्त नहीं करे , इससे लोग भटकते हे == यह भी संभव हे की आप हमसे ज्यादा ही जानते हे , और विद्वान भी आप हे ही \\ 09926077010 =
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