Guru गुरु पूर्णिमा आने को हे
अपने अपने गुरु के यहाँ अवश्य ही जायेआपका गुरु नही तो आपके पिता के गुरु
पिता ने भी नही बनाये तो दादा जी के गुरु
स्वार्थ और लालच में आकर गुरु बदले नहीं
उच्च कुलीन धार्मिक वेदपाठी को ही गुरु बनाये
हिन् नीच स्वार्थी लालची लोभी निचे कुल का अधम पाखंडी प्रतिमा बेचने वाला
गुरु पद योग्य नही
सिख किसी की भी ली जा सकती हे
आप किसी को गुरु बनाये जिससे आपका मिलना अपनी समस्या का निदान पाना आवश्यकता के समय उपलब्ध हो उसे गुरु रूप में प्राथमिकता दे
धर्म के किसी बड़े व्यापारी को तामझाम देखकर लालच से गुरु न बनाये
इस समय यह भी अक कारोबार बन रहा हे
आप स्त्री हे तो अकेले न जाये
न ही किसी से अकेले गुप्त वार्तालाप करे
न ही अकेले सनिद्द्य की चेष्टा करे
गुरु की बात सार्वजनिक ही होती हे न की गुप्त
अकेले में अंग प्रत्यंग की स्वभावगत चेष्टा मन को विचलित कर आपको अधोगामी बनाती हे
-- swami aannd shiv mehta 09926077010
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें